जब अस्पताल ही हैं बीमार, तो मरीजो का कैसे हो इलाज
रिपोर्ट कमलेश कुमार त्रिपाठी
उजाला शिखर जारी । गरीब तबके के मरीजों का अब भी सरकारी अस्पतालों पर भरोसा कायम है। क्योंकि यहां पर सारी सेवाएं निःशुल्क रहती हैं। कुछ इसी भरोसे के साथ लोग अपने मरीजों को लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं। लेकिन सवाल यह है कि, जब अस्पताल ही बीमारी से ग्रस्त हो तो मरीजों का आखिर इलाज कैसे संभव हो। कुछ ऐसा ही हाल दिखा कोंराव तहसील के ग्राम पंचायत खीरी में बने नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खीरी का। कहने को तो यह नया है, परंतु अपनी दुर्दशा पर बदहाली के आंसू बहा रहा है । स्वास्थ केंद्र की हालत बद से बदतर देखी जा सकती है। इसकी सुध लेने वाला कोई दिखाई नही पड़ता। जहां एक ओर प्रदेश में माननीय योगी आदित्यनाथ जी की सरकार बनने के बाद से स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता पर अनेकों प्रकार की योजनाओं का क्रियान्वयन कर इनको चुस्त-दुरुस्त किया जा रहा है,वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत खीरी में स्थित करोड़ों की लागत से बना नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खीरी बदहाली के आंसू बहा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतिदिन स्वास्थ्य केंद्र में गोबरा,कल्याणपुर, पुरानी खीरी, भवरहा, बेलहा, कंचनपुर, घोरी, पौंसला, जोरवट, खपटिहा, आदि गांवों से सैकड़ों की संख्या में मरीजों का आना होता है। परंतु इलाज होना तो दूर की बात है स्वास्थ केन्द्र तक जानें का रास्ता न होने से ग्रामीणों को अस्पताल तक पहुंचने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि मरीज किसी तरह अस्पताल तक पहुंच भी गया तो,अस्पताल में न तो डॉक्टर ,न हीं कंपाउंडर और न ही दवा मिलती है।स्वास्थ केन्द्र के भवन जर्जर अवस्था में पहुंच गए हैं। शौचालय में गंदगी का अंबार देखा जा सकता है। जिससे वहां पर आने वाले मरीजों को संक्रमण का भय बना रहता है। सफाई की उचित व्यवस्था न होने के कारण खुद ही अस्पताल बीमार सा प्रतीत होता है। टूटी फूटी खिड़कियां, बेंच, दरवाजे खुद ही अपना दर्द बयां कर रही हैं। स्वास्थ्य केंद्र में पानी की टंकी बनाई गई थी, जिससे कि मरीजों को स्वच्छ जल मिल सके। परंतु वह भी केवल शो पीस ही बनकर रह गई है। अतः क्षेत्र के समस्त ग्रामीणों द्वारा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जी से गुहार लगाई गई है कि, एक नजर इधर भी, जिससे ग्रामीणों को उचित स्वास्थ चिकित्सा व्यवस्था प्राप्त हो सके।