‘एक राग दो स्वर‘ ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया
नाट्य प्रोत्साहन के अंतर्गत मासिक नाट्य योजना श्रंखला में अनादि सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं सामाजिक संस्था लखनऊ की प्रस्तुति उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र ओर से हास्य नाटक ‘एक राग दो स्वर‘ का सफल मंचन शुक्रवार के सांस्कृतिक केन्द्र प्रेक्षागृह में को किया गया।
इस नाटक के जरिए इस आधुनिक परिवेश में पति-पत्नी के रिश्ते को उजागर किया गया है। राजेन्द्र शर्मा द्वारा लिखित कहानी के जरिए बताया गया है कि पति-पत्नी एक गाड़ी के दो पहिए होते हैं यदि दोनों पहिया खराब हो जाए तो जीवन तमाम समस्याओं से घिर जाता है। नाटक के मुख्य पात्र सुरेंद्र और सरला हमेशा झगड़ते रहते हैं, जिससे उनकी बेटी पिंकी को भी माता-पिता का प्यार नहीं मिल पाता है। वही सुरेंद्र का मित्र अनिल उनके बीच आए दिन हो रहे झगड़े से दुःखी रहता है। इसी बीच जब सुरेंद्र के मामा उसके घर पर रहने के लिए आते हैं तो वो भी झगड़े का दृश्य देखकर काफी निराश हो जाते हैं और अपने घर वापस लौट जाते हैं। पति-पत्नी के इस झगड़े को समाप्त करने के लिए अनिल और मामा मिलकर एक योजना बनाते हैं। अनिल बाबा जी का भेष बनाकर सुरेंद्र और सरला के पास आता है और उन दोनों का हाथ देखकर सुरेंद्र को बताते हैं कि आज से तीन महीने बाद अष्टमी को उसकी पत्नी का देहांत हो जाएगा और इसी प्रकार सरला को भी बताता है कि उसके पति का देहांत हो जाएगा। तभी ये सुनकर दोनों काफी परेशान हो जाते हैं। इस समस्या के निदान के लिए वे दोनों बाबा जी से उपाय पूछते हैं तभी बाबा जी उपाय में बताते हैं कि तुम दोनों तीन महीने तक कोई झगड़ा नहीं करोगे और प्रेमपूर्वक से रहोगे। बाबा की बतायी हुई शर्त को वे स्वीकार कर लेते हैं और तीन महीने सुखी से रहते हैं। जब अष्टमी के दिन उनको कुछ नहीं होता है तभी अनिल बाबा का भेष बदलकर सामने आता है और सारी कहानी को बयां करता है।
मुन्नी देवी की परिकल्पना और निर्देशन में मंच पर अरुणेश मिश्रा, मधु प्रकाश श्रीवास्तव, अनुपम बिसरिया, मनीष पाल, अंजलि, अंशिका सक्सेना, राधा आदि ने अपने अभिनय से दर्शकों की वाहवाही बटोरी। सुखद अंत के साथ इस नाटक ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया।