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मैथिली की गीतों पर जमकर थिरके लोग, तालियों से गूंजा पंडाल

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मैथिली की गीतों पर जमकर थिरके लोग, तालियों से गूंजा पंडाल

रिपोर्ट:आचार्य श्री कांत शास्त्री

प्रयाग नगरी संगम में एक बार फिर राष्टीय शिल्प मेला का आगाज हो गया। मन को तरंगित कर देने वाले आंचलिक लोकगीत, भांगड़ा, डांडिया नृत्य, लोकनृत्य एवं विभिन्न राज्यों के मशहूर खानपान की बहुरंगी छटा से सजी शाम के बीच एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतगर्त राष्टीय शिल्प मेले का गुरुवार शाम से शुरूआत हो चुकी है। शिल्प हाट रंगबिरंगी रौशनी से नहाए मुक्ताकाशी मंच की आलौकिक छवि नजर आ रही है। 12 दिसंबर तक चलने वाले इस बहुचर्चित मेले का शुभांरभ सुप्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मेले का शुभारंभ ऋचा पाठ विधा के एकमात्र कलाकार विपिन मिश्रा ने शंख एवं डमरू ज्ञान दुंगदुभी से किया। इसके बाद चेतन भाई चौहान के गरबा लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। इसके बाद मंच पर उड़ीसा के हेमन्त बहेरा ने डांडिया एवं गोटी पुआ नृत्य पेश कर वहां पर बैठे लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। दिनेश भार्वे गुटुम्ब बाजा की प्रस्तुति देकर चार चांद लगा दिये। मणिपुर से वाई अमसुसाना ने मार्शल आर्ट थांगगटा तथा पुंग व ढोल चोलम की प्रस्तुति दी। इसके बाद पंजाब से आए रवि किन्नूर ने भांगडा लोकनृत्य पेश करके दर्शकों को खूब झूमाया। मंच पर जैसे ही सुप्रसिद्ध लोकगायिका मैथिली ठाकुर का आगमन होता है वहां पर बैठे लोगों ने तालियों से उनका जोरदार स्वागत किया। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरूआत ‘ हे गंगा मइया तोहरे पियरे चढ़ाएबे सइया से करा दे मिलनवां से की तो पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। इसके बाद छाप तिलक तोहसे नैना मिलाइकै एवं दमा- दमा मस्त कलंदर गा कर पूरी महफिल लूट ली।
केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने सुश्री मैथिली ठाकुर को पुष्प गुच्छ व अंग वस्त्र भेंटकर उनका स्वागत किया। प्रो. सुरेश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह राष्टीय शिल्प मेला एक महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है जो 1993 से आरंम्भ हुआ है। जिसमें 22 राज्यों के 75 शिल्पकार अपने शिल्पों का प्रदर्शन करेंगे।
दोपहर 1 बजे कलाकारों ने निकाली भव्य शोभायात्रा- राष्टीय शिल्प मेले तमिलनाडु, मणिपुर, गुजरात, उड़ीसा, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों से आए कलाकारों ने शोभायात्रा निकाली। यह शोभायात्रा एनसीजेडसीसी से आरंभ होकर इंदिरा गांधी चौराहा, पत्थर गिरजाघर, सुभाष चौराहा, हनुमान मंदिर होते हुए राजापुर बाबा चौराहे पर समाप्त हुई। इस यात्रा में कलाकारों ने अपनी कलाओं का प्रर्दशन किया जिससे देखने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा।
हर वर्ष लगने वाले यह राष्टीय शिल्प 1 दिसंबर से लेकर 12 दिसंबर तक चलेगा।
मेले में विविधाताओं से भरे भारत की अद्भुत तस्वीर साफ नजर आ रही हैै।
इस अवसर पर केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा एवं अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

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