श्रावणी एवं रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है,डॉ नरेंद्र नाथ व्यास ज्योतिषाचार्य
भारतीय ज्योतिष गणना के अनुसार प्रयागराज के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉक्टर नरेंद्र नाथ व्यास जी ने बताया है कि इस बार 30 अगस्त दिन बुधवार को पूर्वाह्न 10:12 पर पूर्णिमा का आगमन हो जाएगा,परंतु इसी समय से भद्रा का प्रारंभ हो जाएगा,जो रात 8:58 तक रहेगा,शास्त्र में लिखा है कि भद्रायाम् द्वे न कर्तव्या श्रावणी फाल्गुनी तथा रक्षाबंधन का कार्य भद्रा में पूर्ण तया वर्जित है,और उस दिन भद्रा मृत्यु लोक की है,इसलिए पूरी तरह से भद्रा जो शनि की बहन है,ब्रह्मा जी के द्वारा शापित है,जिससे भद्रा में रक्षाबंधन का कार्य वर्जित रहेगा, वैसे भी शास्त्रीय परंपरा के अनुसार मध्याह्न कल में रक्षाबंधन का कार्य होना चाहिए,शिवरात्रि नवरात्रि करवा चौथ गणेश चतुर्थी रामनवमी आदि तथा जन्माष्टमी को छोड़कर कोई भी पर्व त्यौहार उदयातिथि में ही मान्य होता है,गृहस्थों के लिए कोई भी शुभ कार्य सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच में ही करना श्रेयस्कर माना गया है,चूंकि 31 तारीख गुरुवार को पूर्णिमा प्रातः 7:45 तक ही रहेगी और सूर्योदय 5:43 पर होगा,अतः उदया तिथि में पूर्णिमा होने से गुरूवार को रक्षाबंधन के कार्य के लिए संपूर्ण दिन माना जाएगा,या तिथि उदया जाता। सा तिथि सकला भभवेत्। इस न्याय के अनुसार 31 तारीख गुरुवार को मध्यान्ह पर्यंत तक रक्षाबंधन का कार्य करना शुभ एवं श्रेयस्कर प्रतीत हो रहा है,चूंकि 1:30 बजे से 3 बजे तक राहुकाल होगा,अतः उक्त समय को छोड़कर रक्षा सूत्र बांधना शुभ फलदायक रहेगा।