समदरिया स्कूल में हुआ “सनातन परंपरा और नवाचार शिक्षा” विषय पर व्याख्यान
चरित्र निर्माण में संस्कारों का अत्यधिक महत्व होता है। छात्रों को अच्छे संस्कारों का आचरण करना चाहिए जिससे वे उत्कृष्ट नागरिक बन सकें। यह बातें पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने कही। दांदूपुर स्थित समदरिया स्कूल में “सनातन परंपरा और नवाचार शिक्षा” विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कारों की कमी के कारण ही अच्छे परंपरागत मानवीय मूल्य लुप्त होते जा रहे हैं। इसके लिए शिक्षण संस्थानों को सजग होना पड़ेगा। मजबूत और सशक्त भारत का निर्माण युवा पीढ़ी के योगदान पर निर्भर करेगा।
जगद्गुरु ने विष्णु पुराण में उल्लिखित ‘सा विद्या या विमुक्तये ‘ को परिभाषित करते हुए कहा कि पौराणिक काल में शिक्षा नैसर्गिक योग्यताओं के विकास पर बल देती थी। आज विद्या युवा वर्ग को उन्मुक्त करने की बजाय नियुक्ति के मोह में बांध रही है।
संस्थान के निदेशक डॉक्टर मणि शंकर द्विवेदी ने छात्रों को नवाचार और प्रौद्योगिकी को साथ लेकर चलने की बात कही। उन्होंने शंकराचार्य जी के अखंड भारत सांस्कृतिक अभियान पर विस्तृत चर्चा की।
इस अवसर पर स्कूल की प्रधानाचार्य पुष्पा आनंद सहित विमला कुमारी , कादम्बरी द्विवेदी, नीतू सिंह, मृणाल जतिन, रूपा चतुर्वेदी, विनोद यादव आदि शिक्षकों द्वारा शंकराचार्य जी का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। स्कूल की छात्राओं द्वारा अभिनंदन मंत्र के साथ आरती उतारी गई तथा छात्रों के बैंड दल द्वारा उनकी अगवानी की गई।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कल्पना मिश्रा, चेतना त्रिपाठी, राजेश यादव, धर्मेंद्र यादव, अनिता कुमारी, नेहा, दिलीप कुमार, शशि, जिज्ञासा ओझा, हिमांशु पटेल, कस्तूरी, वैष्णवी सिंह, कृतिका सागर, आर्यन मौर्य ,करण पटेल, शनि वाल्मीकि आदि लोग उपस्थित रहे।