शिल्प मेले में गूंजे कथक के घुंघरू
रिपोर्ट:आचार्य श्री कांत शास्त्री
..आप फिर से मुस्कुरा दीजिए
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का मुक्ताकाशी मंच कार्यक्रम के दूसरे दिन भी दूधिया रौशनी में नहा रहा है, हर कोई इस मेले का साक्षी बनने को बेताब है। कहीं बांसुरी की बिन बज रही है तो कही ढोल की थाप पर नाचते लोग ऐसा दृश्य है राष्टीय शिल्प मेले का। मेले के दूसरे दिन की शाम माया कुलश्रेष्ठ के कत्थक के नाम रही। शिल्प हाट के मुक्ताकाशी मंच पर माया कुलश्रेष्ठ ने कत्थक भाव की खूबसूरत प्रस्तुति दी। उनके भाव पूर्ण प्रस्तुति के कारण 50 मिनट तक दर्शक मंत्रमुग्ध रहे। अपनी पहली प्रस्तुति श्रीकृष्ण की रासलीला की थीम पर ‘‘ काहे कहे जाते रण छोर, काहे कहे जाते हो छलिया, काहे कहे जाते हो रसिया ऐ री सखी जान री सखी कैसा है मोरा संवारिया‘ बोल में आकर्षक नृत्य कर दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को उसी में रमा दिया। इसके बाद राधा, बांसुरी, द्रोपदी, मीरा के चरित्र को अपने कत्थक से प्रस्तुत कर इसमें नारी के महत्व को दर्शया। उन्होंने नृत्य के माध्यम से बताया कि नारी के बिना पुरुष का कोई वजूद नहीं है। वही उनके आंखों एवं गले का घुमावदार संचालन ने लोगों को दर्शकों को हतप्रभ कर दिया। उनके सूफी गायन नृत्य को दर्शकों ने खूब पसंद किया। कार्यक्रम के दूसरे कड़ी में राजस्थन के कोटा से आए गजल गायक रजब अली भारती ने इब्राहिम अश्क का कलाम ‘‘ मुस्कुरा कर मिला करो, हमसे कुछ कहा और सुना करो‘‘ पेश कर तालियों से खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद उन्होंने उलझनों को बढ़ा दीजिए आप, फिर मुस्कुरा दीजिए की प्रस्तुति देकर समा बाध दिया। अमीर खुसरों का कलाम ‘‘ छाप तिलक सब छिनी मौसे नैना मिलाय कै को पेश किया। सिंथेसाइजर पर जैद अली भारती और तबले पर इमरान खान ने साथ दिया। इसके बाद जिंदुआ लोकनृत्य, गुदुम्ब बाजा, गरबा लोकनृत्य की प्रस्तुति से संगीत के रसिकों को मुग्ध कर दिया। इस मौके पर केंद्र के निदेशक एवं अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
मेले में हर दिन देश के कई राज्यों के लोक कलाकारों की रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होंगी। मेले में खास तौर पर आदिवासीए लोक शास्त्रीय,उपशास्त्रीय गायन और वादन के साथ ही नृत्यों से युवा पीढ़ी को जोड़ने की कोशिश की गई है। राष्ट्रीय शिल्प मेले में कर्नाटक का सिल्क सूट एवं अन्य उत्पाद राजस्थान का स्टोन कार्निंगए मोजाइक ग्लास टेराकोटा बर्तनए पंजाब की फुलकारी, जूती, मुरादाबाद के पीतल के बर्तनए भगवान के पोशाक, लकड़ी के खिलौने चादरें मुख्य आकर्षण होंगे।