- वैश्विक परिदृश्य में आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए शोध जरूरी-
प्रो ए के सिंह
आयुर्वेद संकाय चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू व इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड स्टैटिस्टिक्स कानपुर के संयुक्त तत्वाधान में रिसर्च मेथडोलॉजी व जैव सांख्यिकी विषय पर दो दिनी कार्यशाला का आयोजन 20 व 21 मई को धनवंतरि भवन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में किया गया।
भगवान धन्वंतरि एवं
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यशाला का शुभारंभ हुआ।
विशिष्ट अतिथि राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, हंडिया प्रयागराज के पूर्व प्राचार्य प्रो जीएस तोमर ने बताया कि यह पहला नोडल सेन्टर आयुर्वेद संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्थापित किया जा रहा है। उसमें भी प्रशिक्षुओं की संख्या शुभांक108 है। शोध एविडेन्स वेस होने पर विश्व में स्वीकारिता होती है, यदि आयुर्वेद की चारों प्रमाणों की मानकीकरण करके शोध परक कार्य किया जाय तो विश्व में आयुर्वेद का परचम लहराया जा सकता है। आज आयुर्वेद भारत की चारदीवारी तक ही सीमित न रहकर वैश्विक स्वीकार्यता की ओर बढ़ रहा है । अत: हमें अपने प्रभावी एवं शाश्वत ज्ञान को उनकी भाषा में समझाने के लिए वर्तमान में प्रचलित वैज्ञानिक मापदंडों पर शोध के द्वारा सिद्ध करना होगा तभी यह लोक स्वीकार्यता प्राप्त कर सकेगा । मुझे विश्वास है कि आयुर्वेद ही भारत को पुन: विश्व गुरू बनाने का कार्य करेगा ।
जी एस वी एम मेडिकल कॉलेज कानपुर की प्रो सीमा द्विवेदी ने बताया कि अच्छी शोध के द्वारा ही आयुर्वेद को चिकित्सा के क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचाया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि एमडी व पीएचडी के छात्रों को आयुर्वेद की शोध परक आवश्यकता को सिखाया जाने के उद्देश्य से सांख्यिकी गणना के अनुसार आयुर्वेद को स्थापित किये जाने का उत्तर प्रदेश में यह पहला प्रयास है। इसके माध्यम से आयुर्वेद के अन्य महाविद्यालयों में शुरूआत की जाएगी।
कानपुर से सांख्यिकी निदेशक डॉ शुभम पाण्डेय ने बताया कि बीस हजार से ज्यादा मेडिकल प्रोफेसलन को वर्कशाप के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा चुका है। आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में यह पहला प्रशिक्षण केन्द्र है जो छात्रों के थिसिस पेपर शोध की क्वालिटी बढ़ाये जाने के लिए अत्यधिक लोकप्रिय रहेगा। इस प्रशिक्षण के माध्यम से यदि छात्र शोध परक कार्य करेंगे तो विश्व में स्वीकारिता आसानी से हो पायेगी।
प्रो एसके सिंह, निदेशक चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने बताया की आयुर्वेद को माडर्न मेडिसीन के साथ इन्टीग्रेट करके शोध परक कार्य विष्व के मानकों पर कार्य करने की वर्तमान में आवष्यकता है। आयुर्वेद व आधुनिक चिकित्सा के चिकित्सकीय विधि व चिकित्सा में अत्यधिक समानता है, बस दोनों के मध्य सांख्किीय गणना के द्वारा पुल बनाकर जोड़कर एक महत्वपूर्ण कार्य नई दिशा के साथ चिकित्सा व्यवस्था में सुदृढ़ता प्रदान किया जा सकता हैं। इस दिशा में हम सभी लोग प्रयासरत हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वी. के शुक्ल ने बताया कि नोडल केन्द्र बनाया गया, यह पहला केन्द्र विश्व में नई कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि आज आयुर्वेद में संकाय में इसकी शुरूआत हो रही है। इसका मुख्य कारण कोविड 19 में आयुर्वेदिक औषधियों की महत्वपूर्ण उपयोगिता रही है। इसको एविडेंस बेस बनाने के लिए अच्छा समय चल रहा है। वर्तमान समय में आयुर्वेद का क्षेत्र अत्यधिक शोध की सम्भावनायें हैं। जिसके द्वारा छात्र जल्द ही सफलता को प्राप्त कर सकता है। आयुर्वेद चिकित्सा अत्यधिक जनोपयोगी है कैंसर जैसी बड़ी बिमारी में भी आयुर्वेद चिकित्सा के द्वारा शोध परक कार्य करके लाभ दिया जा सकता है।
इसमें डेटा जेनरेसन, कलेक्सन, सैम्पल साइज और एनालिसिस करके मानकों के अनुरूप स्थापित किया जा सकता है। यदि इस प्रकार से कार्य वैज्ञानिक रूप से किया जाय तो आयुर्वेद आधुनिक चिकित्सा को पीछे भी कर सकने की क्षमता है।
संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संकाय प्रो केएन द्विवेदी, ने सभी को धन्यवाद देते हुए बताया कि महर्षि चरक प्रोग्राम सांख्यिकीय की नोडल बनाने का सौभाग्य आयुर्वेद संकाय को मिला यह अत्यन्त हर्ष का विषय है। भविष्य में शोध के क्षेत्र में यह मिल का पत्थर साबित होगा किसी भी नये एकैडमिक कार्य की शुरूआत संकाय के लिए गौरव की बात होती है। यह प्रशिक्षण अन्तिम प्रशिक्षण नहीं है। आवश्यकतानुसार शोध परक कार्यो को देखते हुए समय-समय पर चलता रहेगा।
आज आवश्यकता है आयुर्वेद को विज्ञान से और सांख्यिकी से जोड़कर विश्वपटल पर स्थापित करने की दिशा में छात्रों को प्रयास करना है।
कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य अतिथि महायोगी गुरुगोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अवधेश कुमार सिंह द्वारा स्टेट ट्रेनिंग सेंटर का उद्घाटन आयुर्वेद संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में
किया गया।
इस अवसर पर उन्होंने बताया कि आयुष विश्वविद्यालय का यह प्रयास है कि आयुष विधा की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए साथ ही आयुर्वेद में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि जनहित से जुड़े मुद्दों पर शोध की आवश्यकता है।भविष्य में एम डी कर रहे छात्रों के शोध का आंकलन किया जाएगा और अच्छे शोधार्थियों को भविष्य में प्रोत्साहित भी किया जाएगा।
स्वागत कायचिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो केएन मूर्ति ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष, स्वस्थवृत एवं योग डॉ मंगला गौरी, और मंच का संचालन सिद्धान्त दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सीएस पाण्डेय एवं डॉ अवनीश पाण्डेय ने किया।
इस अवसर पर
डॉ०एल सत्यनारायण, पूर्व वैज्ञानिक एनआईसीपीआर आईसीएमआर नई दिल्ली, डॉ पदम सिंह, एडीशनल डायरेक्टर जनरल आईसीएमआर, भारत सरकार, प्रो नीलम गुप्ता, प्रोफ़ेसर बी एम सिंह, प्रोफेसर संगीता गहलोत, प्रोफेसर ए एन सिंह, डॉ अरुण कुमार द्विवेदी, प्रो सी एस पांडेय, प्रोफेसर के एन द्विवेदी, वैद्य सुशील कुमार दुबे, डॉ वीरेंद्र कुमार, डॉ अजय पांडेय, डॉ एच एस मिश्र, प्रो मंगला गौरी, डॉ जेपी सिंह, प्रो राजेंद्र प्रसाद, प्रो जे एस त्रिपाठी, प्रो के एन मूर्ति, प्रो० विश्वेश, डॉ आशुतोष पाठक, प्रो० विजय लक्ष्मी गौतम, प्रो० नीरू नाथानी, डॉ पी एल संखुआ, डॉ अंजना सक्सेना, प्रो० बी राम, प्रो० अनिल कुमार सिंह, डॉ ज्वाला प्रसाद मिश्र, डॉ०संजय प्रकाश सहित देश के विभिन्न संस्थानो के शोधार्थी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर स्व०श्री राम कृष्ण पाण्डेय स्मृति पुरस्कार प्रदान किया गया।
डॉ पदम सिंह, डॉ आर एन मिश्रा, डॉ एल सत्यनारायण, प्रोफेसर जी एस तोमर, पूर्व प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, हंडिया प्रयागराज, डॉ० आरती लालचंदानी, पूर्व प्रधानाचार्या, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
प्रोफेसर के एन द्विवेदी, आयुर्वेद संकाय प्रमुख, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, डॉ सीमा द्विवेदी, प्रोफेसर, ऑब्स एंड गायनी, जी एस वी एम मेडिकल कॉलेज कानपुर, डॉ जीएन द्विवेदी, वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ कानपुर, डॉ० हितेश खुराना, डॉ अंकित सिंह को सर्विस एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
डॉ अवनीश पांडेय , चिकित्साधिकारी, प्रतापगढ़ एवं श्रीमती ममता द्विवेदी को ह्यूमेनिटेरियन अवार्ड से सम्मानित किया गया।