वन विभाग की मिली भगत से बहरिया में बड़े पैमाने पर काटे जा रहे हरे पेड़
रिपोर्ट अभिषेक मिश्र
बहरिया, प्रयागराज।पूरा विश्व विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है। जगह जगह पेड़ लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।ताकि पृथ्वी को हरा भरा किया जा सके।संगम नगरी प्रयागराज में शासन प्रशासन की नाक के नीचे सप्ताह का में कई ट्रैकों से काटे गए हरे पेड़ों की होती है सप्लाई। पुलिस विभाग भी मौन बना खुले आम इस कार्यवाही को देख रहा है। समूचे बहरिया विकासखंड में इन दिनों पर्यावरण को भारी छति पहुंचाई जा रही है। यह कार्य वन विभाग की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हो रहा है। लाखों हरे पेड़ कई महीने से काटे जा रहे हैं। और काटकर ट्रैकों में लादकर बाहर आपूर्ति कर दी जा रही है। फिर भी वन विभाग व पुलिस मौन है। मजे की बात तो यह है कि इन हरे पेड़ों के कटान को वन विभाग छूट का पेड़ बताकर अपना पल्ला झाड़ ले रहा है। इससे एक तरफ जहां पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं लाखों रुपए टैक्स की रकम भी इन वन माफिया द्वारा आसानी से बचा ली जा रही है। बताया जाता है कि बहरिया के धमौर, फाजिला बाद कालूपुर, एवं सराय हरिकाशुन की बाग में बड़े पैमाने पर प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में हरे पेड़ों को काटा जा रहा है। और द्रकों से बाहर भेजा जा रहा है। यह कटान की लकड़ियां दूसरे प्रांतों में ले जाकर अच्छे खासे मूल्य पर बेची जा रही हैं। वन माफियाओं द्वारा जहां लाखों का टैक्स बचाया जा रहा है। वहीं बहरिया से प्रत्येक सप्ताह चार-पांच ट्रकों पर लकड़ियों का लदान होता है। और लाखों की लड़कियां प्रति सप्ताह बहरिया से काटकर बाहर भेजी जा रही है। इन काटे गये रहे पेड़ो की लकड़ियों को वन विभाग छूट की लड़कियां बता रहा है। जबकि पर्यावरण का भारी नुकसान इन पेड़ों के काटे जाने से हो रहा है। फिर भी वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी व पुलिस विभाग मौन है। उल्लेखनीय है कि पर्यावरण को बचाने के लिए प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा करोड़ों के पौधे का रोपण किया जा रहा है। इन पौध रोपण का समूचा पैसा मिट्टी में तो मिल ही रहा है। क्योंकि नई पौध तो तैयार नहीं हो रहे हैं। जो पौध मौजूद हैं उन्हें भी बड़े पैमाने पर वन विभाग की मिली भगत से काटा जा रहा है। इस संबंध में बन दरोगा बहरिया पन्नालाल यादव से बात करने पर उनका कहना है कि यह सब चिलबिल के पेड़ है। इन्हें छूट की प्रजाति में दो वर्ष पूर्व शामिल किया गया है।