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श्री श्री रुद्र महायज्ञ एवं कामेश्वरी महा आराधना से असम में सुख शांति एवं समृद्धि आएगी : शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ

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श्री श्री रुद्र महायज्ञ एवं कामेश्वरी महा आराधना से असम में सुख शांति एवं समृद्धि आएगी : शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ


__गुवाहाटी के खानापारा मैदान में आठ दिवसीय महायज्ञ शुरू
गुवाहाटी। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सोमवार को खानपारा के विशाल मैदान में आठ दिवसीय श्री श्री रुद्र महायज्ञ एवं कामेश्वरी महाआराधना की भव्य शुरुआत हुई ।

गोवर्धनमठ पुरी के पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ के सानिध्य में आयोजित इस महायज्ञ में देश के विभिन्न राज्यों से आए आचार्य अनुष्ठान आदि संपन्न करा रहे हैं। इस अवसर पर शंकराचार्य ने कहा कि चातुर्मास में इस महायज्ञ का विशेष महत्व है। इससे असम सहित पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में सुख, शांति और समृद्धि आएगी। श्री श्री रुद्र महायज्ञ एवं कामेश्वरी महाआराधना की शुरुआत सोमवार प्रात 8:00 बजे हुई। इस अवसर पर विद्वान आचार्यों के वेद पाठ से पूरा यज्ञ स्थल गूंजता रहा।


इसके बाद भव्य जल जलयात्रा निकली। जल यात्रा में सैकड़ो महिलाएं वाहनों पर सवार होकर ऋषि वशिष्ठ मंदिर पहुंची। जल यात्रा में प्रदेश सरकार के कई मंत्री, विभिन्न निकायों के अध्यक्ष, कई पार्षद, प्रशासनिक अधिकारी, असम के धर्म एवं संस्कृति से जुड़े श्रद्धालु, बड़ी संख्या में युवा एवं सभी आयु वर्ग के लोग भी शामिल थे। संपूर्ण मार्ग पर बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को श्रद्धा एवं भक्ति के साथ निहार रहे थे।

गेरुआ वस्त्र पहने श्रद्धालु जोर-जोर से भगवान शिव के जयकारे लगा रहे थे। जयकारे से आसपास का वातावरण भक्ति मय बना रहा।


वशिष्ठ मंदिर परिसर में झरना के किनारे पवित्र शिला पर बैठकर शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने वरुण देव सहित अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना की एवं देश के लोगों के लिए मंगल कामना की। इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि सनातन संस्कृति में यज्ञ का विशेष महत्व है।

इससे समाज में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है। लोगों में सद्भाव बढ़ता है। आज विश्व की जो स्थिति है, उसमें मानव जीवन के लिए शांति सबसे अधिक जरूरी है। भारतीय परंपरा में यज्ञ के माध्यम से परम ब्रह्म एवं देवी देवताओं की आराधना का विधान है। यहां जो यज्ञ हो रहा है, इससे सामाजिक जीवन में समरसता आएगी। उन्होंने कहा कि यज्ञ में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में साधु संत भी आए हैं। उनके आशीर्वचन से सुख एवं शांति में बढ़ोतरी होगी।


उल्लेखनीय है कि यज्ञ स्थल पर विशाल यज्ञशाला का निर्माण कराया गया है। विद्वान आचार्यों, साधु संतों एवं देशभर से आए श्रद्धालुओं के लिए लग्जरी टेंट का निर्माण कराया गया है। सोमवार सुबह तक देश भर से कई अखाड़ों एवं मठों के साधु संत पहुंच चुके थे। संपूर्ण यज्ञशाला परिसर भक्तिमय बना हुआ है। इसे देखने के लिए स्थानीय लोग बड़ी संख्या में देर शाम तक यज्ञशाला स्थल पर जुटे रहे। उन लोगों ने शंकराचार्य से आशीर्वाद प्राप्त किया।

____गजारूढ हुए शंकराचार्य __ वशिष्ठ मंदिर में पूजा अर्चना के बाद शंकराचार्य श्रद्धालुओं के साथ जब निकले तो बड़ी संख्या में आसपास के श्रद्धालु वहां एकत्र थे। उन लोगों ने शंकराचार्य के जयकारे लगाए एवं आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद शंकराचार्य गज पर आरूढ़ हो गए। इस क्षण को देखने के लिए श्रद्धालु वहां उमड़ पड़ी।शाम को रंगा रंग भक्ति संगीत संध्या का आयोजन किया गया.

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