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मुक्त विश्वविद्यालय ने लिया संविधान की प्रस्तावना का संकल्प

रिपोर्ट:कुलदीप शुक्ला

डॉ त्रिविक्रम ने दिया ‘भारत: लोकतंत्र की जननी’ पर व्याख्यान,
उ. प्र. राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में शनिवार को संविधान दिवस के अवसर पर कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह, सभी निदेशकों, शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों तथा छात्र-छात्राओं ने संविधान की आत्मा के रूप में संविधान की प्रस्तावना का संकल्प लिया।

विश्वविद्यालय के प्रदेश में स्थित सभी क्षेत्रीय केंद्रों पर भी संविधान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर समाज विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान मे “भारत: लोकतंत्र की जननी” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता डॉ त्रिविक्रम तिवारी, असिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान ने इस विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत वास्तविक अर्थों में लोकतंत्र की जन्मस्थली रहा है। विश्व का प्राचीनतम लोकतंत्र भारत में वैशाली के लिच्छवी के रूप में प्राप्त होता है। पाश्चात्य लोकतंत्र की संकल्पना की भारतीय लोकतंत्र से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि पाश्चात्य चिंतन अंतर्द्वंद्वों से युक्त है जबकि भारतीय चिंतन समावेशी है, द्वंद्व मुक्त है। अपने वक्तव्य में डॉ. त्रिविक्रम ने प्राचीन भारतीय राजतंत्र में भी लोकतांत्रिक मूल्यों को परिलक्षित किया।
संचालन डॉ आनंदानंद त्रिपाठी तथा अतिथियों का स्वागत शोध एवं विकास केंद्र के निदेशक प्रोफेसर पीके पांडे ने किया। अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने की। समाज विज्ञान विद्या शाखा के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर एस कुमार ने इस अवसर पर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। व्याख्यान से सभी विद्याशाखाओं के शिक्षक एवं छात्र छात्राएं लाभान्वित हुए।

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