मुक्त विश्वविद्यालय के रक्तदान शिविर में कुलसचिव, शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने किया रक्तदान
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में मंगलवार को स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में रक्तदान करने के लिए विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों में उत्साह बरकरार रहा। राज्य रक्त संचरण परिषद, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह के निर्देशन में मुक्त विश्वविद्यालय में स्वैच्छिक विशेष स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन स्वास्थ्य विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में आयोजित किया गया।
शिविर के संयोजक स्वास्थ्य विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर जी एस शुक्ल ने बताया कि रक्तदान शिविर का उद्घाटन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने रक्तदान कर किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों में रक्तदान के प्रति उत्साह बरकरार रहा। शिविर में 35 से अधिक लोगों ने नामांकन कराया। रक्तदान करने वालों में कुलसचिव कर्नल विनय कुमार, प्रोफेसर ए के मलिक, डॉ श्रुति, डॉ मीरा पाल डॉ ज्ञान प्रकाश यादव, डॉ देवेश रंजन त्रिपाठी, अनुराग शुक्ला, श्रवण कुमार दुबे, इंदु भूषण पांडेय, डॉ एस के भारती एवं डॉ मुकेश कुमार मौर्या आदि प्रमुख रहे। इस अवसर पर रक्तदाताओं को प्रदेश शासन और बेली अस्पताल की तरफ से प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।
स्थानीय तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय रक्तकोश की तरफ से डॉक्टर रिचा कक्कड़ डॉ पंकज कुमार यादव अजय मिश्र हेमंत शुक्ला विभा मिश्रा अभिनव कुमार अनुराग जायसवाल संदीप मिश्रा भूपेंद्र पांडे तथा श्रीमती उपासना आदि ने सक्रिय सहयोग किया।
इस अवसर पर रक्तदाताओं को प्रेरित करते हुए शिविर के संयोजक प्रोफेसर जी एस शुक्ल ने कहा कि नियमित रक्तदान से शरीर में लौह की मात्रा पर्याप्त रहती और रक्तचाप नियंत्रित रहता है जो हार्ट अटैक की संभावना को भी कम करता है।
कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने कहा कि रक्तदान एक बहुत पुण्य का कार्य है जो किसी के भी जीवन की रक्षा करने में अमृत के समान है।
डॉ रिचा कक्कड़ ने कहा कि रक्तदान के बाद शरीर 48 घंटों के भीतर रक्त की मात्रा को बदल देता है जो इसे स्वस्थ बनने और अधिक कुशलता से काम करने में मदद करता है। शिविर में उपस्थित होकर विश्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर गिरिजा शंकर शुक्ल, प्रोफेसर ओम जी गुप्ता एवं प्रोफेसर पी पी दुबे रक्तदाताओं का उत्साहवर्धन करते रहे।