त्वचा सम्बन्धी रोगों को ठीक करने से अधिक उनको बार बार होने से रोकना महत्वपूर्ण है – डॉ जी एस तोमर
सौन्दर्य प्रसाधन एवं रासायनिक साबुन के अधिकाधिक प्रयोग से त्वचा के कैंसर से पीड़ित रोगियों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है । त्वचा के स्वाभाविक वर्ण को निखारने के लिए आज नये नये रासायनिक सौन्दर्य प्रसाधनों की बाढ़ सी आ गई है । जिसके चलते त्वचा का स्वाभाविक वर्ण अल्प समय के लिए तो निखरा हुआ लगता है किन्तु कुछ समय बाद ही त्वचा की स्वभाविक चमक नष्ट होने लगती है । इनके लम्बे समय तक प्रयोग करने से त्वचा सम्बन्धी कैंसर का ख़तरा भी बढ़ जाता है । त्वचा हमारे शरीर का रक्षा कवच है । सर्दी, गर्मी, वर्षा, हवा एवं मौसम परिवर्तन से यह हमारे आन्तरिक अवयवों की रक्षा करती है । सारे शरीर की त्वचा की एकरूपता एवं निरन्तरता के कारण किसी भी अंग विशेष से सम्पर्क होने पर विविध प्रकार के एलर्जन शरीरस्थ त्वचा के किसी अन्य हिस्से में भी एलर्जी के लक्षण प्रकट कर सकते हैं । दाद, खुजली, एग्जिमा, सोरिएसिस जैसे ज़िद्दी रोगों का सही उपचार इनसे मुक्त कर सकता है । खान – पान, रहन सहन. वस्त्र, तेल, साबुन व सौन्दर्य प्रसाधनों के प्रयोग में सावधानी बरतना इन रोगों से बचाव का मूल मंत्र है । त्वचा सम्बन्धी इन रोगों का उपचार इनके लाक्षणिक सुधार तक ही सीमित नहीं है । इनकी बार बार पुनरावर्तन की प्रवृत्ति को रोकना ही चिकित्सा का मूल लक्ष्य है । यह विचार प्रो. (डॉ.) जी एस तोमर ने पंचवटी मार्केट, झूँसी में “दी स्किन केयर” क्लिनिक के उद्घाटन करते हुए व्यक्त किए । डॉ आरज़ू मिश्रा ने अपनी इस क्लिनिक की विशेषता बताते हुए स्पष्ट किया यहाँ आज की उपलब्ध नवीनतम तकनीक का प्रयोग कर पीड़ित मानवता की सेवा की जाएगी । रोगों की चिकित्सा करने के साथ साथ उन्हें इनके पुनरावर्तन को रोकने हेतु खान पान एवं सही जीवनशैली की जानकारी प्रदान की जाएगी । चिकित्सा से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है, इसी पवित्र भावना से रोगियों की सेवा करना हमारा लक्ष्य है । इस अवसर पर डॉ वी के पाण्डेय , डॉ राम आदि अनेकों चिकित्सकों के साथ श्री अनुराग अष्ठाना, राजेन्द्र कुमार सिंह, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव एवं आलोक श्रीवास्तव आदि ने उपस्थित होकर डॉ आरज़ू मिश्रा को इस अवसर पर बधाई दी ।