शंकराचार्य की बांग्लादेश यात्रा, जगद्गुरु ने यशोरेश्वरी शक्ति पीठ का किया दर्शन-पूजन
-सांसद एसएम जगलुल हैदर समेत तमाम श्रद्धालुओं ने शंकराचार्य का किया जोरदार स्वागत
-जगद्गुरु बोले, बांग्लादेश संप्रभु राष्ट्र है पर सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं
-शंकराचार्य की यात्रा को लेकर बांग्लादेश के सभी समुदायों में गजब का उत्साह
ढाका । गोर्वधन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज ने आज बांग्लादेश स्थित यशोरेश्वरी शक्ति पीठ में देवी का दर्शन और पूजन किया। इस दौरान शक्ति पीठ में भारी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को शंकराचार्य ने संबोधित भी किया।
जगद्गुरु शंकराचार्य देव तीर्थ ने कहा कि बांग्लादेश स्थित मां यशोरेश्वरी की बड़ी मान्यता है। इस शक्ति पीठ के प्रति सनातन धर्मावलम्बियों में अटूट आस्था है। इसीलिए भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी यहां दर्शन और पूजन के लिए आए थे। और अब वह स्वयम यहाँ आये हैं ।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है पर सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के लोग और बांग्लादेशवासी एक ही हैं। जगद्गुरु ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उनकी धार्मिक यात्रा को लेकर बांग्लादेश के हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों समुदायों में उत्साह दिख रहा है, जो देश के विकास के लिए अच्छा संकेत है।
शंकराचार्य अधोक्षजानंद आज जब खुलना जिला के ईश्वरीपुर गांव स्थित यशोरेश्वरी शक्ति पीठ पहुंचे तो स्थानीय हिन्दुओं के साथ मुस्लिम समाज के लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। मंदिर परिसर में शंकराचार्य की आगवानी स्थानीय सांसद एसएम जगलुल हैदर ने की। मंदिर समिति के उपाध्यक्ष संजीत कुमार दास, सचिव स्वप्न शाहा, पूर्व सचिव किरन चटर्जी, सदस्यों में महादेव मंडल, उमेश राय, रंजीत देवनाथ, उत्तम शाहा और नजमुल समेत सैकड़ों युवाओं और महिलाओं ने परंपरागत तरीके से जगद्गुरु का स्वागत किया।
इसके बाद जगद्गुरु देवतीर्थ ने विधिविधान से देवी यशोरेश्वरी का पूजन किया। इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में ‘माता यशोरेश्वरी की जय हो’, ‘हर-हर महादेव’ और ‘शंकराचार्य महाराज की जय हो’ के नारे लगातार गुंजायमान हो रहे थे।
ढाका से करीब 350 किमी दूर है यशोरेश्वरी शक्ति पीठ
यशोरेश्वरी शक्ति पीठ बांग्लादेश की राजधानी ढाका से करीब 350 किलोमीटर दूर है। यह शक्ति पीठ खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर स्थान पर स्थित है। मान्यता है कि यहां माता सती की हथेलियां गिरी थीं। माता की शक्ति को यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं। बताया जाता है कि कभी यह मंदिर बहुत भव्य हुआ करता था। यहां 100 से अधिक दरवाजे थे, लेकिन मुगलों ने इसे खंडित कर दिया। इसके बाद लक्ष्मण सेन और प्रपाद आदित्य ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। इसके बाद स्थानीय हिंदू और मुस्लिम मिलकर इस मंदिर की रक्षा करते हैं। भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी 2021 में यहां पूजा अर्चना करने आए थे।