शिशु के सर्वांगीण विकास में मां प्रथम शिक्षिका होती है- मीरा पाठक
भारतीय विचार के अनुसार शिशु ब्रह्मा का सबसे शुद्ध रूप है -बांके बिहारी पांडे, विद्या भारती से संबद्ध काशी प्रांत के रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज राजापुर प्रयागराज में प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे के कुशल मार्गदर्शन में शिशु वाटिका मातृ गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें शिशु से द्वितीय तक के नन्हे-मुन्ने छात्र-छात्राओं की लगभग 350 माताओं ने भाग लिया l
विद्यालय के संगीताचार्य एवं मीडिया प्रभारी मनोज गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रांतीय शिशु वाटिका प्रमुख काशी प्रांत मीरा पाठक, समाजसेवी विद्या जी एवं प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन करने के पश्चात अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण से किया, अतिथियों का परिचय रुचि चंद्रा ने कराया l
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रांतीय शिशु वाटिका प्रमुख मीरा पाठक ने कहा कि विद्यालय को घर और घर को विद्यालय बना कर हम अपने शिशु को लक्ष्य तक पहुंचा सकते है
आज के वातावरण में संस्कार एवं भावनात्मक शिक्षा का सृजन मां के द्वारा शिशुओं में होता है, शिशुओं के विद्यालय की शिक्षा में परिवार एवं मां की सहभागिता पूरक भूमिका होती है l अध्यक्षता कर रही विद्या जी ने बताया कि विद्या भारती से संचालित समस्त विद्यालय शिक्षा के साथ-साथ संस्कार पक्ष पर विशेष ध्यान देते हैं l प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे ने बताया कि एक ‘शिशु’ (बच्चा) सबसे पहले मनुष्य के बीज की तरह होता है। जैसे किसी वृक्ष के विकास की सारी संभावनाएँ उसके बीज में निहित होती हैं, वैसे ही मनुष्य के बारे में भी है। भारतीय विचार के अनुसार, शिशु ‘ब्रम्हा’ का सबसे शुद्ध रूप है। माता-पिता इस ‘ब्रम्हा’ को पृथ्वी पर लाने का साधन हैं। सदियों पुराने भारतीय इतिहास में ‘बाल शिक्षा’ नाम का कोई शब्द ही नहीं था, केवल ‘बाल विकास’ ही था। इसका मुख्य स्रोत घर ही था. माता-पिता के मार्गदर्शन से ही बाल विकास होता था। दुनिया भर के बाल मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि छोटे बच्चों को स्नेही परिवार से अलग नहीं करना चाहिए।
इस अवसर पर कई माताओं ने भी अपने विचार रखे l कार्यक्रम को सकुशल संपन्न कराने में पायल जायसवाल अर्चना राय किरण सिंह कविता पांडे विद्यावती शुक्ला लक्ष्मी सिंह दिव्या शुक्ला नीतू कुमारी साधना यादव प्रशांत त्रिपाठी प्रदीप त्रिपाठी प्रवीण द्विवेदी सुशील पाल हिमांशु राय श्याम बिहारी सत्येंद्र द्विवेदी सहित समस्त अध्यापक एवं अध्यापिका ओं का सहयोग सराहनीय रहा l कार्यक्रम का कुशल संचालन सत्य प्रकाश पांडे ने किया l