रानी रेवती देवी में गीत संगीत के साथ धूमधाम से मनाई गई होली
चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली थी-बांके बिहारी पांडे,भारतीय समाज में होली एकता का पर्व है- शिवकुमार पाल
प्रयागराज।विद्या भारती से संबद्ध काशी प्रांत के रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कॉलेज राजापुर, प्रयागराज में प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे के मार्गदर्शन तथा विद्यालय के प्रबंधक एवं पूर्व शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार पाल की अध्यक्षता में होली का पर्व रंगारंग कार्यक्रमों एवं एक दूसरे को अबीर एवं गुलाल लगाकर तथा गले मिलकर परस्पर प्रेम और भाईचारे की परंपरा को निभाने एवं प्रबंधतंत्र द्वारा सभी को मिठाइयां एवं उपहार प्रदान करने के साथ संपन्न हुआ ।
इस अवसर पर विद्यालय के संगीताचार्य मनोज गुप्ता के निर्देशन में शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने होली गीतों से सबको फागुन के रंग में सराबोर कर दिया l सर्वप्रथम मनोज गुप्ता ने “रंग लेके दौड़े हनुमान जी राम जी उठ के भागे”, नक बेसर कागा लई भागा,”होली खेल रहे बांके बिहारी आज रंग बरस रहा” संतोष तिवारी ने “सिर बांधे मुकुट खेले होरी”, साधना यादव ने “होलिया में उड़े रे गुलाल मैया का रंग केसरिया” , अनूप कुमार ने “होली के दिन दिल खिल जाते हैं” वकील प्रसाद ने बेलवरिया एवं शिक्षिकाओं ने समवेत स्वरों में “आज बिरज में होरी रे रसिया” आदि होली गीतों की प्रस्तुति से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया, समस्त गीतों पर विद्यालय के छात्र उमंग गुप्ता ने तबले पर एवं कर्मचारी मनोज कुमार ने ढोलक पर साथ देकर भव्यता प्रदान की l
इस अवसर प्रधानाचार्य बांके बिहारी पांडे ने बताया कि चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली। माना जाता है कि इसी घटना के बाद से होली पर रंग खेलने की परंपरा शुरू हो गई। होली के पर्व से जुड़ी एक और कथा मिलती है जिसके अनुसार भगवान शिव के श्राप के कारण धुण्डी नामक राक्षसी को पृथ्वी के लोगों ने इस दिन भगा दिया था। प्रबंधक शिवकुमार पाल ने बताया कि होलिकोत्सव का आरंभ प्रमुख रुप से होलिका दहन से शुरु होता है। अगले दिन अर्थात् चैत्र माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को धुरेड़ी मनाई जाती है। भारत के कईं भागों में उत्सव का यह सिलसिला चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी तक चलता है। भारतीय समाज में होली एकता का पर्व है। जिसमें सभी नर-नारी, बच्चे, बुजुर्ग जाति और वर्ण के भेद को भुलाकर इस पर्व को बड़े उत्साह और उल्लास से मनाते हैं।
कार्यक्रम का सफल एवं रंग भरा संचालन सत्य प्रकाश पांडे ने किया l