Monday, September 16Ujala LIve News
Shadow

फ़िल्म पृथ्वीराज हुई UP में टैक्स फ्री

Ujala Live

अन्तत: फिल्म ”सम्राट पृथ्वीराज चौहान” की स्क्रिनिंग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सामने हो गई।सूबे के CM ने फ़िल्म की तारीफ करते हुए उत्तर प्रदेश में टैक्स फ्री कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पूरा मंत्रिमंडल भी दर्शकों में था। लोकभवन सभागार में विशेष शो आयोजित किया गया जिसमें फिल्मस्टार अक्षय कुमार भी उपस्थित रहे। पिछले बारह साल से यह फिल्म अधर में लटकी रही। राजपूत ”करनी सेना” की मुकदमेबाजी खास कारण रहा, कथानक को लेकर। फिर कोविड ने भी बाधित कर दिया था।
फिल्म का मुख्य आकर्षक था डॉ चन्दप्रकाश द्विवेदी द्वारा लिखित कथानक और संवाद। उनका ”चाणक्य” टीवी धारावाहिक अतीव जनप्रिय हुआ था। पृथ्वीराज रासो कृति पर आधारित यह ऐतिहासिक फिल्म मध्यकालीन भारतीय गौरव की याद दिलाता है। खासकर चन्द बरदाई के रोल में सोनू सूद के संवादों में काव्यमयता के पुट सराहे गए। किन्तु फिल्म में एक खास संदेश भी है। भारत के इतिहास के छात्रों को इस माध्यम से बताया गया कि किस तरह अरबी डाकू धर्मप्राण हिन्दू शासकों को इस्लामी फरेब छल, धोखा, विश्वासघात और अमानवीय नृशंसता का शिकार होना पड़ा। मंदिर—मस्जिद के विवाद के परिवेश में बड़ा समीचीन है। इस ऐतिहासिक दानवता पर भारत के मुसलमानों को विचार करना चाहिये। उन्हें राष्ट्रीय बनना है। यदि न हो पाये तो भारत उनकी स्वभूमि कभी नहीं हो पायेगी। भारत का इतिहास यदि विजेताओं का है तो अंग्रेजों को हराकर अब वह बदल गया है। यह तथ्य है। नया भारत सभी को मानना होगा। आजादी का यही तकाजा है।
समूची फिल्म में चन्द बरदाई की भूमिका में सोनू सूद खिल जाते हैं। ​डॉ. द्विवेदी ने उनका रोल राष्ट्रवाद से आप्लावित कर दिया है। शाकंभरी के राजा कवि और साहित्यकार विग्रह राय के भतीजे थे पृथ्वीराज। दिल्ली पर अंतिम हिन्दू सम्राट। शूरवीर थे। मर्यादाशील थे। मुहम्मद गोरी को 16 बार पराजित कर चुके थे। गोरी का कभी भी नीति, ईमान और उसूलों से वास्ता—नाता नहीं रहा। तराईन की जंग में वह पृथ्वीराज को अंधेरे में छल से पकड़ लेता है। फिर गोरी राज्य में कैसे राजा और चन्द बरदाई का अंत हुआ, सबका पढ़ा हुआ है। अत्यंत प्रभावी ढंग से पेश हुआ है। रुपान्तरण में पटकथा को परिशोधित किया गया है। मान्यताओं के मुताबिक घटनाओं को पिरोया गया है।
जयचन्द का रोल बड़ी सूक्ष्मता से चित्रित हुआ है। आज भी जयचन्द की भूमिका में चीन और पाकिस्तान के एजेन्टों के रूप में एक धारधार जनचेतावनी है। अदाकार आशुतोष राणा का संयोगिता से राजपूतानी गौरव के नाम पर पिता होकर भी निर्दयता करना बहुत ही मर्मस्पर्शी तरीके से सामने आया है।
पूरी फिल्म वही प्रश्न उठाती है जो अटल बिहारी वाजपेयी कई बार जनसभाओं में कह चुके हैं। जब वे मोरारजी देसाई काबीना के विदेश मंत्री थे तो इन अरब हमलावरों के प्रदेश में गये थे। वे काबुल की यात्रा पर थे। गजनी जाना चाहते थे। पर अफगान सरकार ने कहा, वहां ठहरने लायक होटल भी नहीं है। फिर भी अटलजी गये। लौटकर श्रोताओं को बताया कि गजनी वीरान, गरीब प्रदेश है। बंजर, बीहड़।
मगर मध्यकाल में कोई भी ताकतवर डाकू सरदार झुण्ड को बटोरकर, सोने की चिड़िया का लालच बताकर सेना गठ लेता था। फिर इन लुटेरों को प्रेरित भी किया जाता रहा कि जीतोगे तो अथाह दौलत, मरे तो बहत्तर हुरे तो मिलेंगी ही।
यही भारत का अभिशाप रहा। अटलजी ने झांसी में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई का उल्लेख करते एकदा एक त्रासद बात कही थी। इससे हर गर्वित भारतीय का सर शर्म से झुक जाता है। अटलजी ने कहा था कि रानी और ब्रिटिश के संग्राम को तमाशबीन झांसी की जनता बड़ी संख्या खड़ी निहारती रही थी। यही भारत में होता रहा। ”को नृप हो हमें का हानि”, वाली उक्ति ही इस अपराधी निष्क्रियता और तटस्थता का कारण रहा। विदेशी आक्रामक लूटते रहे। अत्याचार करते रहे। धर्मांतरण कराते रहे। अधिकांश जनता मूक दर्शक रही। कायर, कांचू। यह फिल्म उस सोच को बदलने की दिशा में एक कोशिश है।फ़िल्म शुक्रवार से सिनेमा घरों में टैक्स फ्री दिखाई जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× हमारे साथ Whatsapp पर जुड़ें