“योगः कर्मसु कौशलम्” — जोसफाइट्स ने योग दिवस पर अपनाया योग का जीवन-दर्शन
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जोसफाइट्स ने किया भोर में योगाभ्यास, प्राचार्य स्वयं हुए सहभागी
“योगः कर्मसु कौशलम्” — अर्थात्, योग है कर्मों में उत्कृष्टता। यह भगवद्गीता का श्लोक न केवल शारीरिक अभ्यास की ओर इंगित करता है, बल्कि यह जीवन को सजगता, अनुशासन और निष्ठा से जीने की प्रेरणा देता है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में सेंट जोसेफ्स कॉलेज, प्रयागराज में प्रातः 5:30 बजे योग सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत एक शांति प्रार्थना से हुई:
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शनेः शनेरुपरमेद् बुद्ध्या धृतिगृहीतया।
आत्मसंस्थं मनः कृत्वा न किञ्चिदपि चिन्तयेत्॥
“मन को धीरे-धीरे बुद्धि व धैर्य से संयमित करते हुए आत्मा में स्थिर कर लो, फिर किसी और विचार में न उलझो।”
योग सत्र में ताड़ासन, वीरभद्रासन, भुजंगासन, हलासन, वज्रासन, योगमुद्रा, तथा सूर्य नमस्कार जैसे प्रभावशाली आसनों का अभ्यास किया गया। यह सत्र शरीर की स्थिरता, मानसिक एकाग्रता और आंतरिक ऊर्जा जागरण पर केंद्रित था।
इस योग सत्र का मार्गदर्शन योग चिकित्सक श्री मोहम्मद शाबी रफीक ने किया, जिन्होंने एलएनआईपीई, ग्वालियर से एम.फिल (शारीरिक शिक्षा) और योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा में पी.जी. डिप्लोमा प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि योग केवल आसन नहीं, बल्कि जीवन को स्वस्थ, सात्विक और संतुलित रखने का मार्ग है। उन्होंने छात्रों को यह प्रेरणा दी कि वे इस ज्ञान को अपने परिवार, मित्रों एवं विशेष रूप से जरूरतमंदों तक पहुँचाएं।
कार्यक्रम का समापन उपनिषद की एक प्रार्थना से हुआ:
प्राणस्येदं वशे सर्वं त्रिदेवा यत्र प्रतिष्ठिताः।
मातेव पुत्रान् रक्षस्व, श्रीं च प्रज्ञां च विदेहि न इति॥
“यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड प्राण के अधीन है, जिसमें त्रिदेव भी स्थित हैं। हे प्राण! हमारी माता की भांति रक्षा करें और हमें समृद्धि एवं प्रज्ञा प्रदान करें।”
इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य फादर वॉल्टर डिसिल्वा ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। वे स्वयं एक समय के बेहतरीन एथलीट, बैडमिंटन एवं बास्केटबॉल चैंपियन रहे हैं। उन्होंने छात्रों को योग को न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि एक अनुशासित जीवनशैली के रूप में अपनाने की प्रेरणा दी।