झारखण्ड का छऊ लोकनृत्य रहा आकर्षण का केंद्र,NCZCC में चल रहा है शिल्प मेला
रिपोर्ट:आचार्य श्री कांत शास्त्री
ऐ, मन कुन्तो मौला, अली मौला, छाप तिलक सब छीन ली रे मोसे नैना मिला के, सानू एक पल चैन न आवै….. एवं कबीर की रचना मन लागो यार फकीरी में ख्वाजा मेरे ख्वाजा… जैसे गीतों ने राष्ट्रीय शिल्प मेले की चौथी सांस्कृतिक संध्या को खास बनाया। रामपुर घराने से ताल्लुक रखने वाले कव्वाल गजल गायक शाहिद नियाजी की कव्वालियों पर लोग खूब थिरके। एनसीजेडसीसी के शिल्प हाट में चल रहे राष्ट्रीय शिल्प मेले में प्रतिदिन एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं, जिससे लोग खरीददारी के साथ ही साथ मनोंरंजन का भी आनंद उठा रहे हैं। कार्यक्रम की शुरूआत सिक्किम के कलावती सुब्बा एवं दल घाण्टू लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। इसके बाद छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य जो सनातनी समुदाय का प्रमुख नृत्य माना जाता है इसे लोकनृत्य के माध्यम से आधात्मिक संदेश के साथ मानव जीवन की महत्ता को बताया गया है। महाराष्ट का लावणी एवं झारखण्ड के छऊ लोकनृत्य ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। ठसाठस भरे दर्शकों के बीच जब मंच पर शहिद नियाजी का आगमन होता है तो दर्शक जोरदार तालियों से उनका स्वागत करते है, उन्होंने अपनी पहली प्रस्तुति ऐ, मन कुन्तो मौला, अली मौला से की जिस पर दर्शका दीर्घा में बैठे लोगों का भरपूर प्यार मिला। इसके बाद दर्शकों के मांग पर एक से बढ़कर सूफी गीत प्रस्तुत कर तालियों की गड़गड़ाहट से खूग वाहवाही लूटी।
मैदानी कलाकार हैं लोगों के आकर्षण का केंद्र- मेले में लोग बढ़-चढ़ कर खरीददारी कर रहे हैं। किसी को राजस्थानी जूतियां लभा रही हैं तो किसी को कश्मीर से आए शि
ल्पकारों के उत्पाद। वही मैदानी कलाकार अपनी कला का प्रर्दशन कर मेले में आए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। शिल्प हाट में कला और संस्कृति का समागम देखा जा सकता है। हर कोई इस मेले का साक्षी बनने का आतुर दिखाई दे रहा है।
वही मुक्ताकाशी मंच पर 12 दिसंबर को पद्म श्री पण्डित राम दयाल शर्मा के निर्देशन में सुल्ताना डाकू नौटंकी का भी आयोजन किया जा रहा हैं।