शोभायात्रा निकाल कर मनाई गई महाऋषि भारद्वाज की जयंती
रिपोर्ट:कुलदीप शुक्ला
प्रयागराज। बिना महर्षि के प्रयागराज अधूरा है, महर्षि पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस स्थान को जागृत किया। यहां पर मानव सभ्यता और जीवन जीने की कला का विकास हुआ। प्रयागराज तीर्थों का राजा है और गुरुकुल का क्षेत्र।उक्त बातें प्रयागराज दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय महर्षि भरद्वाज जयंती समारोह पर कहीं। इस अवसर पर न्यायविद व प्रशासनिक अधिकारी, साधु संत व. गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम , विशाल प्रतिमा स्थल पर महर्षि भरद्वाज की 5 फुट की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण किया गया।
इस अवसर न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी, न्यायमूर्ति नीरज तिवारी मंडलायुक्त विजय, विश्वास पंत पुलिस कमिश्नर रमिश शर्मा जिला अधिकारी , माघ मेला अधिकारी अरविंद चौहान एसएसपी माघ मेला राजीव नारायण मिश्र प्रयागराज विकास प्राधिकरण सचिव अजीत सिंह संग्रहालय के निदेशक राजेश प्रसाद सहित साधु संत , विद्वत जन व गणमान्य नागरिकों ने महर्षि की मूर्ति पर पुष्प अर्पित किया ।
प्रयागराज विद्वत परिषद भारत भाग्य विधाता , व अन्य संस्थाओं के सहयोग से तीन दिवसीय प्रयागराज दिवस मनाया जा रहा है। इसके संयोजक समन्वयक, वीरेंद्र पाठक ने कार्यक्रम का संचालन किया।
संतो ने कहा कि महर्षि भरद्वाज प्रयागराज की प्रयागराज की अस्मिता के प्रतीक हैं । इनके पुण्य स्मरण के बिना प्रयागराज की महिमा पूर्ण नहीं जा सकती। हम सबको स्थान के देवता और तीर्थ के नायक महर्षि भरद्वाज की परंपरा को कायम रखते हुए सांस्कृतिक विकास की धारा को बढ़ाना होगा।
इस अवसर पर स्वामी हरी चैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा कि महर्षि भरद्वाज ही वह महान ऋषि है जिनकी वजह से आज माघ और कुंभ मेला है। जगतगुरु श्रीधराचार्य, ने कहा की अस्सी हजार शिष्य महर्षि भरद्वाज केे थे, हर छह से दस शिष्य पर एक गुरु थे । इतनावहृ बड़ा गुरुकुल था। पृथ्वी के पहले कुलपति थे। जगतगुरु घनश्याम आचार्य ने कहाा कि राम की कथा का विस्तार इसी पावन भरद्वाज आश्रम से शुरू हुआ। प्रोफेसर के बी पांडे , पूर्व अध्यक्ष लोक सेवा आयोग ने बताया कि पृथ्वी पर हवा में उड़ने वाले विमानों के अविष्कारक महर्षि भरद्वाज ही थे। महंत यमुना पुरी , जी महाराज ने कहा कि महर्षि भरद्वाज , प्रयागराज के प्रवर्तक हैं । उनके महिमामंडन के लिए हम सब तैयार हैं। भरद्वाज आश्रम का विकास आश्रम की तरह ही होना चाहिए।
श्री राम गोपाल दास जी ने कहा कि महर्षि भरद्वाज का यह आश्रम जहां पहली बार राम कथा गायी गई। इस स्थान पर राम कथा की परंपरा शुरू की जाएगी।
महर्षि भरद्वाज की तीन दिवसीय जयंती व प्रयागराज दिवस , के रूप में मनाई जा रही है। इसके प्रथम दिन विशाल प्रतिमा स्थल पर सजावट की गई साथ ही लोगों को महर्षि भरद्वाज के बारे में जानकारी दीी गई।
सवेरे पुष्प अर्पण के बाद महर्षि भरद्वाज की शोभा यात्रा भरद्वाज आश्रम से निकलकर अल्लापुर मटियारा रोड होते हुए किला चौराहा पहुंची जहां से संगम पर विराम लिया। शोभा यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया।
संगम पर साधु-संतों और यात्रा में गए लोगों ने गंगा पूजन किया साथ ही महर्षि भरद्वाज के कार्यों पर चर्चा की। मेला अधिकारी अरविंद चौहान तथा एसएसपी मेला राजीव नारायण मिश्र ने भी गंगा पूजन में भाग लिया।
वक्ताओं में उक्त कार्यक्रम में शामिल होने वालों में प्रमुख रूप से , , बिहार राज्य विद्वततक्षक परिषद के पीठाधीश्वर ,रविशंकर जी , चंद्र देव जी सच्चा आश्रम
लाल जी शुक्ला, अंशुल जी सिया रामशास्त्री , पूर्व प्राचार्य पीयूष रंजन अग्रवाल पूर्व कुलपति जानकी शरण दास जी, , , ज्योतिषाचार्य ब्रजेन्द्र मिश्र विशाल जी चंद्र विजय चतुर्वेदी
रामलीला कमेटी के अध्यक्ष सुधीर गुप्ता डॉ प्रमोद शुक्ला सुधीर द्विवेदी डॉ रंजन बाजपेई अभिषेक मिश्रा शशिकांत मिश्रा , देवेंद्र सिंह दिव्यांशु मेहता, , राजीव भारद्वाज प्रदीप पांडे मनोज पांडे,, अशोक पाठक पंकज , डॉ विनोद त्रिपाठी विजय मिश्रा , श्रीमती रानीजी, उत्तम बनर्जी, अनु घिल्डियाल अनिल गुप्ता कुलदीप शुक्ला अमित मिश्रा शुक्ला दीपू त्रिपाठी,।
कार्यक्रम के पूर्व भजन आयोजित किया गया लोक गायकों व लोक वादको के दलों ने लोगों का मन मोह लिया। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के बीन वादको और लोक जनजाति कला , संस्कृति संस्थान , संस्थान के दल ने हिस्सेदारी की।