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विद्या भारती काशी प्रान्त का तीन द्विवसीय संगीत वर्ग प्रारम्भ

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विद्या भारती काशी प्रान्त का तीन द्विवसीय संगीत वर्ग प्रारम्भ 

संगीत विद्या भारती की रीढ़ है तथा पांचो आधारभूत विषयों में प्रमुख विषय है- डॉ राम मनोहर, प्रो0 राजेन्द्र सिंह ( रज्जू भैया ) शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित ज्वाला देवी सरस्वती शिशु मंदिर सिविल लाइन्स में काशी प्रान्त के तीन दिवसीय संगीत वर्ग का शुभारम्भ विद्यालय के विशाल सभागार मे 21 मई को गणमान्य पदाधिकारियों द्वारा माँ सरस्वती जी की प्रतिमा के सम्मुख दीपार्चन, पुष्पार्चन तथा माँ सरस्वती जी की वन्दना से हुआ, तदोपरान्त काशी प्रान्त के संगीत संयोजक भरत सिंह ने गणमान्य पदाधिकारियों का परिचय व सम्मान कराया। प्रान्तीय संगीत प्रमुख रोली श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की प्रस्ताविकी प्रस्तुत की।
मीडिया प्रभारी एवं क्षेत्रीय संगीत प्रमुख मनोज गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम के प्रथम सत्र में प्रान्तीय संगठन मंत्री डॉ0 राम मनोहर ने अपने उद्बोधन मे विद्या भारती द्वारा आधारित 5 प्रमुख आधारभूत विषयों में संगीत के महत्व को बताते हुए कहा कि संगीत वह महा औषधि है, जिसका मानव जाति में ही नही अपितु समस्त जीव व वनस्पतियों मे भी अकल्पनीय परिवर्तन दिखाई देता है । उन्होंने बताया कि संगीत विद्याभारती की रीढ है तथा पाचों आधारभूत विषयों में सर्व शक्तिशाली विषय है, उन्होंने अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष एवं आनन्दमय कोष की विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि हमारी शिक्षा भारतीय संस्कृति के आधार पर चलती है तथा यह वित्तपोषित, स्ववित्तपोषित नही बल्कि समाज पोषित एवं मातृभाषा पर आधारित होनी चाहिए ।
संगीत वर्ग के द्वितीय दिवस पर काशी प्रान्त के प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी ने अपने उद्बोधन में समस्त प्रतिभागियों से यह अपेक्षा की, कि समस्त विद्यालयों में वाद्ययंत्रों के साथ सस्वर वन्दना होनी चाहिए और संगीत की कम से कम दो बेलाये होने के साथ साथ भैया-बहिनों का सतत मूल्यांकन होना चाहिए और वर्ग मे उपस्थित प्रतिभागियों ने इस संगीत वर्ग में जो भी सीखा है उसका अपने विद्यालय में अनिवार्य रूप से अभ्यास कराये । तत्पश्चात अखिल भारतीय संगीत प्रमुख विनोद द्विवेदी ने समस्त प्रतिभागियों को स्वर साधना कराते हुए बताया कि नाद से बडा कोई मंत्र नही है और अपनी आत्मा से बडा कोई देव नही है। हमारे शरीर में 72 हजार नाड़ियां तथा सात चक्र है, ओम का उच्चारण करने से आत्मा का शोधन होता है । उन्होंने तीन ताल, कहरवा और दादरा ताल की सम,ताली एवं खाली का भी अभ्यास कराया । उक्त वर्ग मे प्रयागराज के केशव संकुल, माधव संकुल सहित सुलतानपुर, प्रतापगढ़, गाजीपुर, काशी, मिर्जापुर एवं सोनभद्र को मिलाकर कुल 50 प्रतिभागियों की उपस्थिति रही।
इस अवसर पर प्रधानाचार्य विक्रम बहादुर सिंह परिहार, इन्द्रजीत त्रिपाठी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष राम प्रकाश सिंह, सह मीडिया प्रमुख दिनेश चन्द्र गुप्ता, ब्रह्मनारायण, श्रद्धानन्द, रवीन्द्र शुक्ल, नरेद्र नेहा, स्वाती विशेष रुप से उपस्थित रहें कार्यक्रम का संचालन सह प्रान्त प्रमुख रामजी मिश्र ने किया ।

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