सुरक्षा उपाय निर्धारित किये गये हैं जिनका पालन करना पुलिस एवं मजिस्ट्रेटों को अनिवार्य :जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह
प्रमोद कुमार
बोकारो,सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के तौर तरीके पर लगातार आदेश जारी किया है। बाद के निर्णयों में इन सुरक्षा उपायों का अनुपालन सुनिश्चित करना मजिस्ट्रेट के कर्तव्य का उल्लेख किया गया है उक्त बातें
झारखंड के सहयोग से बोकारो जजशिप व जिला प्रशासन की ओर से इस क्षेत्रीय सम्मेलन का आयोजन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कही।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के तौर तरीके पर लगातार आदेश जारी किया है। बाद के निर्णयों में इन सुरक्षा उपायों का अनुपालन सुनिश्चित करना मजिस्ट्रेट के कर्तव्य का उल्लेख किया गया है। बार-बार, सुरक्षा उपाय निर्धारित किए गए हैं जिनका पुलिस और मजिस्ट्रेटों को पालन करना चाहिए, क्योंकि यह सुरक्षा न केवल स्वतंत्रता का सार है, बल्कि गिरफ्तारी के कारण होने वाले अपमान और कलंक को रोकने के लिए भी आवश्यक है। ।
बोकारो मे न्यायिक अकादमी सम्मेलन आयोजन किया गया था। सम्मेलन में धनबाद,गिरिडीह और बोकारो के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश,अन्य न्यायिक पदाधिकारी मजिस्ट्रेट आदि के अलावा सीआईडी, सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता, बोकारो उपायुक्त कुलदीप चौधरी, एसपी प्रियदर्शी आलोक तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।
जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और चीफ जस्टिस झारखंड हाई कोर्ट संजय कुमार मिश्रा के अलावा हाई कोर्ट के अन्य जजों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
गिरफ्तारी संहिता की धारा 41 की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती तो मजिस्ट्रेट रिहा करने को वाध्य :
चीफ जस्टिस झारखंड हाई कोर्ट संजय कुमार मिश्रा।
मिश्रा ने कहा कि यदि पुलिस अधिकारी द्वारा की गई गिरफ्तारी संहिता की धारा 41 की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है, तो मजिस्ट्रेट उसकी आगे की हिरासत को अधिकृत नहीं करने और आरोपी को रिहा करने के लिए बाध्य है
उन्होंने दूसरे शब्दों में कहा कि , जब किसी आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है, तो गिरफ्तारी करने वाले पुलिस अधिकारी को मजिस्ट्रेट को गिरफ्तारी के लिए तथ्य, कारण और उसके निष्कर्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है और मजिस्ट्रेट को गिरफ्तारी के लिए पूर्ववर्ती शर्तों से संतुष्ट होना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि धारा 41 के तहत सीआरपीसी संतुष्ट हो गया है और उसके बाद ही वह किसी आरोपी की हिरासत को अधिकृत कर सकता है।