व्यापारियों का उत्पीड़न करने वाले राज्य कर विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के अवैध सम्पत्ति की हो उच्चस्तरीय जांच
वित्तविहीन के शिक्षकों की बने सेवा नियमावली एवं वित्तविहीन विद्यालयों को मिले सरकारी योजनाओं का लाभ।
आशुतोष सिन्हा (एमएलसी)
लखनऊ।
मानसून सत्र के दूसरे दिन सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने विधानपरिषद की कार्यवाही के दौरान सदन में वाराणसी जनपद के राज्य कर अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनके आय से अधिक अर्जित सम्पत्ति की उच्चस्तरीय जांच एवं वित्तविहीन विद्यालयों को सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करते हुए वित्तविहीन शिक्षकों की सेवा नियमावली बनाकर उन्हें समान कार्य का समान वेतन दिए जाने की मांग की है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा है कि मेरे विधान परिषदीय क्षेत्र के अन्तर्गत तैनात राज्य कर अधिकारियों द्वारा व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। ये अधिकारी फ़र्ज़ी बिल पर अपनी गाड़ियां भी पास कराते रहते हैं।
आशुतोष सिन्हा ने कहा कि जनपद के व्यापारियों द्वारा मुझे निरंतर सूचना तथा प्रार्थना-पत्र प्राप्त हो रहे थे कि अपर आयुक्त ग्रेड -1, राज्य कर (जोन प्रथम/जोन द्वितीय) वाराणसी एवं अपर आयुक्त ग्रेड -2 (वि0अनु0शा0), राज्य कर (जोन प्रथम/जोन द्वितीय) वाराणसी द्वारा व्यापारियों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है। इन अधिकारियों द्वारा जो फ़र्ज़ी बिल बनाई जाती है, उसको लेकर जाने वाली गाड़ियों पर कोई कार्यवाही नही होती, जबकि ओरिजिनल बिल लेकर जाने वाले व्यापारियों पर कार्यवाही करके उनसे मोटी रकम की वसूली की जाती है। साथ ही उक्त अधिकारियों द्वारा गुटखा और लोहे की गाड़ियों का भी फ़र्ज़ी बिल बनाकर अवैध वसूली की जाती है, जिससे सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान होता है। मैंने व्यापारियों को आश्वस्त किया था कि इस प्रकरण को विधान परिषद के मानसून सत्र में उठाकर इसपर विस्तृत चर्चा कराऊंगा, जिसके परिपेक्ष्य में मैंने भ्रष्टाचार में संलिप्त अपर आयुक्त ग्रेड -1, राज्य कर (जोन प्रथम/जोन द्वितीय) वाराणसी एवं अपर आयुक्त ग्रेड -2 (वि0अनु0शा0), राज्य कर (जोन प्रथम/जोन द्वितीय) वाराणसी के भ्रष्टाचार में संलिप्तता एवं उनके द्वारा आय से अधिक अर्जित सम्पत्ति की जांच ईडी एवं एसआईटी से कराने की मांग विधान परिषद में की है। इसके अतिरिक्त उन्होंने उ0प्र0 के वित्तविहीन विद्यालयों को सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करने एवं उसमें अध्ययनरत छात्रों को भी मिड डे मिल प्रदान किए जाने एवं वित्तविहीन शिक्षकों की सेवा नियमावली बनाकर उन्हें ‘समान कार्य का समान वेतन’ प्रदान किए जाने की मांग सदन में की है।