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जमुना चर्च में शुरू हुआ तीन दिवसीय आत्म जागृति सम्मेलन, बिशप मोरिस एडगर दान रहे मुख्य अतिथि

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जमुना चर्च में शुरू हुआ तीन दिवसीय आत्म जागृति सम्मेलन, बिशप मोरिस एडगर दान रहे मुख्य अतिथि

भक्ति और दर्शन कार्यक्रम का आयोजन हुआ शुरू जमुना चर्च के प्रार्थना सभा में एकत्रित हुए मसीह समाज के लोग

प्रयागराज। डायोसिस ऑफ लखनऊ (सीएनआई) के अन्तर्गत संचालित मुट्ठीगंज स्थित जमुना चर्च में तीन दिवसीय आत्म जागृति सम्मेलन शुरू हुआ, जहाँ सैकड़ों की संख्या में मसीही समाज के लोगों ने पहुँच कर आशीषित वचन ग्रहण किया । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जयपुर के आचार्य विकास मैसी रहे तथा मुख्य अतिथि के रूप में बिशप मोरिस एडगर दान कार्यक्रम में शामिल रहे ।

सम्मेलन में प्रभु येशु के जीवन की विशेषताएँ बताते हुए वक्ता आचार्य विकास मैसी ने 1 इतिहास 16 अध्याय पद 11 बताया कि यहोवा और उसके समर्थ की खोज करो और उसके दर्शन के लिए लगातार खोजी रहो। उन्होंने बताया कि वचन के व्याकरण को यदि समझा जाये तो उसका सीधा तत्पर्य है कि लगातार खोजी रहो ना कि सुबह केवल आराधना के लिए इकट्ठा हो और आराधना ख़त्म होने के बाद अपने सांसारिक जीवन में पुनः विलीन हो जाए।

इस बेहद ख़ास मौक़े पर वहाँ मौजूद मसीही समाज के लोगों ने डायोसिस ऑफ लखनऊ के बिशप मोरिस एडगर दान और उनके परिवार का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया । बिशप मोरिस एडगर दान ने बताया कि ऐसी कई परिस्थितियाँ आयीं जब उन्होंने सांसारिक लाभों को छोड़ कर परमेश्वर की ओर निहारा और इस दौरान शैतान ने उनकी परीक्षाएँ लिया । उन्होंने बताया कि जमुना चर्च का उनके जीवन में एक विशेष महत्व है और यह वही पिच है जहाँ से उन्होंने अपनी पहली पारी की शुरुआत की थी। कलीसिया के लोगों में भी बिशप मोरिस दान और मुख्य वक्ता आचार्य विकास मैसी से मिलने और साथ सेल्फ़ी लेने की होड़ लगी थी।

बिशप दान ने अपने वचन में कहा कि
खुद को पूरी तरह से परमेश्वर के काम में लगा दो, क्योंकि ये परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएगा. – बाइबल में कहा गया है कि मनुष्य का अच्छा और बुरा दोनों ही उस परमेश्‍वर की कृपा से उसे मिलता है. वह सब जानते हैं. तुम्‍हारे मांगने से पहले ही प्रभु को यह मालूम है कि तुम्‍हारी जरूरतें क्‍या-क्‍या हैं.
संसार का हर धर्म व्यक्ति को सत्य, अहिंसा और सदाचार के मार्ग पर चलने की सीख देता है. फिर चाहे वह गीता हो, कुरान या फिर ईसाई धर्म का पवित्र ग्रंथ बाइबिल. इन सभी में मनुष्य को सफल जीवन जीने का पाठ पढ़ाया गया है. बाइबल की बात करें तो करीब 2000 साल पहले ईसा मसीह ने मानव कल्याण के लिए जो उपदेश दिए थे उनका सार बाइबल में संग्रह किया गया है

मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुंह से कहना यहोवा की ओर से होता है। मनुष्य का सारा चाल चलन अपनी दृष्टि में पवित्र ठहरता है, परन्तु यहोवा मन को तौलता है। अपने कामों को यहोवा पर डाल दे, इस से तेरी कल्पनाएं सिद्ध होंगी।

हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना;
क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा।
कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना।
और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा॥
तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।
उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।
अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।
ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी।
अपनी संपत्ति के द्वारा और अपनी भूमि की पहिली उपज दे देकर यहोवा की प्रतिष्ठा करना;
इस प्रकार तेरे खत्ते भरे और पूरे रहेंगे, और तेरे रसकुण्डोंसे नया दाखमधु उमण्डता रहेगा॥
हे मेरे पुत्र, यहोवा की शिक्षा से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना,
क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उस को डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है॥
क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे,
क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है।
वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी।
उसके दहिने हाथ में दीर्घायु, और उसके बाएं हाथ में धन और महिमा है।
उसके मार्ग मनभाऊ हैं, और उसके सब मार्ग कुशल के हैं।
जो बुद्धि को ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिये वह जीवन का वृक्ष बनती है; और जो उस को पकड़े रहते हैं, वह धन्य हैं॥
यहोवा ने पृथ्वी की नेव बुद्धि ही से डाली; और स्वर्ग को समझ ही के द्वारा स्थिर किया।
उसी के ज्ञान के द्वारा गहिरे सागर फूट निकले, और आकाशमण्डल से ओस टपकती है॥
हे मेरे पुत्र, ये बातें तेरी दृष्टि की ओट न हाने पाएं; खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा कर,
तब इन से तुझे जीवन मिलेगा, और ये तेरे गले का हार बनेंगे।
और तू अपने मार्ग पर निडर चलेगा, और तेरे पांव में ठेस न लगेगी।
जब तू लेटेगा, तब भय न खाएगा, जब तू लेटेगा, तब सुख की नींद आएगी।
अचानक आने वाले भय से न डरना, और जब दुष्टों पर विपत्ति आ पड़े, तब न घबराना;
क्योंकि यहोवा तुझे सहारा दिया करेगा, और तेरे पांव को फन्दे में फंसने न देगा।
जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना॥
यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा।
जब तेरा पड़ोसी तेरे पास बेखटके रहता है, तब उसके विरूद्ध बुरी युक्ति न बान्धना।
जिस मनुष्य ने तुझ से बुरा व्यवहार न किया हो, उस से अकारण मुकद्दमा खड़ा न करना।
उपद्रवी पुरूष के विषय में डाह न करना, न उसकी सी चाल चलना;
क्योंकि यहोवा कुटिल से घृणा करता है, परन्तु वह अपना भेद सीधे लोगों पर खोलता है॥
दुष्ट के घर पर यहोवा का शाप और धर्मियों के वासस्थान पर उसकी आशीष होती है।
ठट्ठा करने वालों से वह निश्चय ठट्ठा करता है और दीनों पर अनुग्रह करता है।
बुद्धिमान महिमा को पाएंगे, और मूर्खों की बढ़ती अपमान ही की होगी॥
वहीं इस शाम में और अधिक रंग बिखरने के लिए चर्च की क्वायर ने विशेष गीत प्रस्तुत किए जिससे वहाँ बैठा हर एक व्यक्ति सराबोर हो उठा। चर्च कलीसिया की ओर से जलपान आदि की स्टाल भी लगायी गई थी ।प्रभु से यह कह, “तू मेरा शरण-स्‍थल और गढ़ है, तू मेरा परमेश्‍वर है, तुझ पर मैं भरोसा करता हूँ।” वह तुझे अपने पंखों से घेर लेगा, तू उसके चरणों में शरण पाएगा; उसकी सच्‍चाई ही ढाल और झिलम हैं।कार्यक्रम में सचिव मनीष ज़ैदी, पादरी प्रवीण मैसी, पादरी मृदलनी डिकोस्टा, पादरी अजय मसीह, मनोज लुका, मार्विन मैसी, विजय मसीह, आर्ची तिमोथी, डॉ० सिंथीया तिमोथी, संजय खन्ना अरुण पाल अशोक निशि खन्ना दीपिका रॉय सुनील कुमार वर्मा राकेश कुमार आकाश त्रिपाठी विल्सन, विमल प्रसाद आदि मौजूद थे ।खुद को पूरी तरह से परमेश्वर के काम में लगा दो, क्योंकि ये परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएगा. – बाइबल में कहा गया है कि मनुष्य का अच्छा और बुरा दोनों ही उस परमेश्‍वर की कृपा से उसे मिलता है. वह सब जानते हैं. तुम्‍हारे मांगने से पहले ही प्रभु को यह मालूम है कि तुम्‍हारी जरूरतें क्‍या-क्‍या हैं।

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