चुनार में बच्चों के राशन पर डकैती: वायरल ऑडियो ने उघाड़ा घोटाले का पर्दाफाश
सरकारी सफेदपोशों की काली करतूतें आईं सामने,राशन के नाम पर बंदरबांट का खेल,बच्चों के हक का राशन ऊपर बैठे बड़े साहबों की जेब होते हैं गर्म
रिपोर्ट अंकित सिंह
जमुई।जिस ज़मीन पर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की कसम खाई गई थी, वहां बच्चों के राशन पर डाका डालने का खेल खुलेआम चल रहा है। एक वायरल ऑडियो ने इस खेल का भांडा फोड़ दिया है। इस ऑडियो में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता खुलकर कबूल करती है कि बच्चों के हक का राशन ऊपर बैठे बड़े साहबों की जेबें गर्म करने के लिए बेचा जाता है। कमीशन के नाम पर हर महीने ₹2200 की कटौती का ‘रियलिटी शो’ चल रहा है और कोई आंख भी नहीं भी नहीं झपकता।
जब शिकायतकर्ता ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से फोन पर बात की, तो जो खुलासा हुआ वह किसी फिल्मी सस्पेंस से कम नहीं था। शिकायतकर्ता ने नंबर 8299236235 से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता (नंबर 9044100183) को कॉल किया और बातचीत के दौरान कार्यकर्ता ने बेबाकी से बताया कि ऊपर तक सबको कमीशन पहुंचता है। सीधे शब्दों में कहें तो “न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी,” बच्चों के हक का राशन कागजों पर दिखाया जाता है, लेकिन हकीकत में वह बिक जाता है।कहते हैं, “ऊपर भगवान का नाम, नीचे शैतान का काम!” योगी सरकार ने जो ईमानदारी का झंडा उठाया था, वह मिर्जापुर के इस मामले से तार-तार होता दिख रहा है। ये मामला न केवल सरकारी योजनाओं के खोखलेपन की पोल खोलता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सफेदपोश जिम्मेदार लोग ही काली करतूतों के सरदार बने हुए हैं।आप सोचिए, जो पोषण आहार बच्चों के स्वास्थ्य और उनके भविष्य को संवारने के लिए था, वह अब उन भ्रष्टाचारियों की तिजोरी की ईंटें बन चुका है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की बयानबाजी से साफ है कि “जो दिखता है, वो बिकता है!” और यहां पर राशन के नाम पर बंदरबांट का खेल हो रहा है। ये लोग गरीब के हिस्से का अनाज चट कर जाते हैं और ऊपर से यह कहते हैं कि उन्हें किसी का डर नहीं है।अब सवाल उठता है, क्या इस बार भी मामला फाइलों के ढेर में दबा रहेगा? या फिर सरकार इस वायरल ऑडियो के बहाने सच का सामना करेगी? क्या इन अधिकारियों पर गाज गिरेगी या फिर यह मामला भी दूसरे मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?