Sunday, September 8Ujala LIve News
Shadow

*जीएसटी की कर दरों में परिवर्तन करने से पहले जीएसटी काउन्सिल व्यापारियों से सलाह करे*

Ujala Live

 

*जीएसटी की कर दरों में परिवर्तन करने से पहले जीएसटी काउन्सिल व्यापारियों से सलाह करे*

कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ( कैट) ने जीएसटी पर गठित मंत्रियों के समूह द्वारा दी गई सिफ़ारिशों को जीएसटी काउन्सिल की 28-29 जून को चंडीगढ़ में होने वाली मीटिंग में लागू न किया जाए बल्कि उससे पहले व्यापारियों से सलाह मशवरा करने का केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन से आग्रह करते हुए पुरज़ोर शब्दों में कहा है बिना ब्रांड वाले खाद्यान्न को कर से मुक्त रखा जाए और किसी भी सूरत में इसको 5% प्रतिशत के कर दायरे में न लाया जाए जिसकी सिफ़ारिश समिति ने की है । कैट ने यह भी कहा की टेक्सटाइल तथा फ़ुटवियर को 5% प्रतिशत के कर स्लैब में ही रखा जाए । कैट ने कहा है की रोटी , कपड़ा और मकान आम लोगों की ज़रूरतों की वस्तुएँ हैं और यदि इन पर टैक्स लगाया गया तो इसका सीधा भार देश के 130 करोड़ लोगों पर पड़ेगा जो पहले ही महंगाई की मार ख़ास रहे हैं । आम आदमी की आमदनी कम हो रही है जबकि खर्चा दिन प्रतिदिन बड़ता ही जा रहा है ।

कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र गोयल एवं प्रदेश चैयरमैन संजय गुप्ता ने कहा की जब प्रतिमाह जीएसटी राजस्व का आँकड़े में वृद्धि हो रही है ऐसे में किसी भी वस्तु कर अधिक जीएसटी लगाने का कोई औचित्य नहीं है । उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में यह आवश्यक है की जीएसटी कर क़ानूनों एवं नियमों की नए सिरे से दोबारा समीक्षा हो और जहां क़ानून एवं नियमों में बदलाव हो वहीं कर दरो में विसंगतियों को समाप्त किया जाए । उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है की मंत्रियों के समूह ने अनेक वस्तुओं को जीएसटी में प्राप्त छूटों की समाप्त करने तथाअनेक वस्तुओं की कर की दरों में वृद्धि करने की सिफ़ारिश एकतरफ़ा हैं क्योंकि उन्होंने केवल राज्य सरकारों का पक्ष ही जाना है और व्यापारियों से इस मामले पर कोई चर्चा तक नहीं की गई है । कोई भी एकतरफ़ा निर्णय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ईज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस तथा पार्टीसीपेटरी गवर्नेस के विरुद्ध होगा ।

मनोज अग्रवाल एवम दिनेश केसरवानी ने कहा की ज़रूरत इस बात की है कि जीएसटी कर प्रणाली की जटिलता को दूर किया जाए जबकि यदि समिति की सिफ़ारिशों को माना गया तो यह कर प्रणाली और अधिक जटिल हो जाएगी । उन्होंने कहा कि जो सिफ़ारिशें समिति ने की हैं उनके लागू करने से कर ढाँचा अधिक विकृत एवं असमान्य हो जाएगा जो जीएसटी कर प्रणाली के मुख्य उद्देश्य से भिन्न होगा । उन्होंने कहा कि जीएसटी की कर दरों में संशोधन के जीएसटी काउन्सिल के विचार से देश भर के व्यापारी सहमत हैं किंतु फिर एक साथ जीएसटी के सभी कर स्लैबो में एक साथ आमूल चूल परिवर्तन आवश्यक है । बड़ी मात्रा में अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं जो उचित कर दर के स्लैब में नहीं है । कुछ ज़्यादा कर दरों में हैं तो कुछ वस्तुओं पर विभिन्न राज्यों में कर दर अलग अलग है जो जीएसटी के एक देश – एक कर के मूल सिद्धांत के विपरीत हैं । इस दृष्टि से यदि व्यापारियों से बात चीत कर कर दर तय की जाएँगी तो जहां कर का दायरा विकसित होगा वहीं केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व में और अधिक वृद्धि होगी जिसको करने के लिए देश भर के व्यापारी संगठन केंद्र एवं राज्य सरकारों में साथ हाथ मिलाकर काम करने को तैयार हैं ।

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× हमारे साथ Whatsapp पर जुड़ें