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माघ मेला में संस्कृत पर दो दिवसीय कार्यक्रम 15 जनवरी से

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माघ मेला में संस्कृत पर दो दिवसीय कार्यक्रम 15 जनवरी से

-विद्वानों संग संस्कृत संस्थान जम्मू कश्मीर के वटुक निकालेंगे संगम स्नान शोभा यात्रा
-आद्य शंकराचार्य और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ का दिव्य मंचन 16 जनवरी को

प्रयागराज, 14 जनवरी । श्री आद्य शंकराचार्य धर्मोत्थान संसद एवं चूड़ामणि संस्कृत संस्थान बसौली, जम्मू-कश्मीर के संयुक्त तत्वावधान में माघ मेले में दो दिवसीय वैदिक अनुष्ठान एवं संस्कृत भाषा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 15 और 16 जनवरी को होगा। समस्त कार्यक्रम पूर्वाम्नाय गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देवतीर्थ जी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न होंगे।

कार्यक्रम की शुरुआत संगम स्नान से होगी। इसके लिए पूर्वाम्नाय गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अधोक्षजानंद देवतीर्थ जी महाराज के त्रिवेणी रोड स्थित माघ मेला शिविर से संगम तक रविवार को प्रातः छह बजे शोभा यात्रा निकलेगी। इस शोभा यात्रा में चूड़ामणि संस्कृत संस्थान बसौली, जम्मू-कश्मीर के काफी संख्या में वटुक (संस्कृत के छात्र) और विद्वतजन जगद्गुरु शंकराचार्य के सानिध्य में शामिल होंगे। इसके बाद शंकराचार्य के शिविर में सुबह 10 बजे से वैदिक अनुष्ठान एवं अन्य कार्यक्रम सम्पन्न होंगे।

सोमवार यानी 16 जनवरी को मेला क्षेत्र में ही सेक्टर 5 में ओल्ड जीटी रोड, उत्तरी पटरी स्थित श्री आद्य शंकराचार्य धर्मोत्थान संसद के शिविर में अपराह्न एक बजे से ‘सनातन ज्ञान परंपरा और संस्कृत भाषा’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन है, जिसमें देश के विभिन्न भागों से आये धर्माचार्यों, संस्कृत के विद्वानों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं जनप्रतिनिधियों के व्याख्यान होंगे। इस दौरान चूड़ामणि संस्कृत संस्थान बसौली, जम्मू-कश्मीर के छात्र आद्य शंकराचार्य और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ का दिव्य मंचन भी करेंगे।

शंकराचार्य आश्रम के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह दो दिवसीय कार्यक्रम व अनुष्ठान संस्कृत भाषा के उद्भट विद्वान स्वर्गीय डा0 उत्तमचंद शास्त्री जन्म शताब्दी समारोहों के अन्तर्गत आयोजित हो रहा है। डा0 उत्तमचंद शास्त्री ने जम्मू कश्मीर में विषम परिस्थितियों में भी संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए बहुत काम किया था। इसके लिए उन्होंने वहां चूड़ामणि संस्कृत संस्थान की स्थापना की, जो इस समय संस्कृत भाषा के पठन-पाठन को लेकर उत्कृष्ट कार्य कर रहा है।

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