चिकित्सा सेवा में आध्यात्मिक विचारों की भूमिका” विषय पर सेमिनार का आयोजन
रिपोर्ट- कुलदीप शुक्ला
रेलवे के चिकित्सा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को राजभाषा हिन्दी से भावनात्मक रूप से जोड़कर सरकारी कामकाज में राजभाषा हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने एवं रेलकर्मी को बेहतर चिकित्सा सेवा देने के उद्देश्य से केन्द्रीय चिकित्सालय/प्रयागराज में प्रमुख मुख्य चिकित्सा निदेशक/उत्तर मध्य रेलवे/प्रयागराज डॉ. जे. पी. रावत की अध्यक्षता में “चिकित्सा सेवा में आध्यात्मिक विचारों की भूमिका” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया । सेमिनार में मुख्य अतिथि तथा वक्ता के रूप में श्री शेषनाथ पुष्कर, भूतपूर्व राजभाषा अधिकारी थे ।
श्री शेषनाथ पुष्कर, भूतपूर्व राजभाषा अधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि मानवता के प्रति प्रेम की भावना, आदर की भावना, सेवा की भावना, त्याग की भावना और सहयोग की भावना ही अध्यात्मिकता होती है और जो विचार व्यक्ति के मन में इन भावनाओं का विकास करते हैं वे आध्यात्मिक विचार होते हैं । आध्यात्मिक विचार व्यक्ति को अच्छा इंसान बनाते हैं और एक अच्छा इंसान प्रत्येक क्षेत्र में, चाहे वह चिकित्सा का क्षेत्र हो या इंजीनियरिंग का क्षेत्र हो या अन्य कोई क्षेत्र हो, अच्छा कार्य करता है ।
उन्होंने आगे कहा कि आध्यात्मिक विचार को ही आम बोलचाल की भाषा में अच्छा विचार कहते हैं । हमारे देश में जितने भी महापुरुष हुए, चाहे गौतम बुद्ध हों, चाहे कबीर हों, संत रविदास हों या विवेकानंद हों सभी ने समाज को अच्छा विचार ही दिए हैं ।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जिस डॉक्टर के मन में अच्छे विचार रहते हैं, उसका चेहरा खिला-खिला रहता है और उसके चेहरे को देखने मात्र से ही मरीज का आधा रोग बिना दवा के ही ठीक हो जाता है । इसके विपरीत जिस डॉक्टर के मन में नकारात्मक विचार रहते हैं, उसका चेहरा मुर्झाया रहता है और मरीज का रोग ठीक होने के बजाय बढ़ जाता है ।
प्रमुख मुख्य चिकित्सा निदेशक डॉ. जे. पी. रावत ने अपने संबोधन में कहा कि डॉक्टर और मरीज का संबंध प्रेम पर आधारित होना चाहिए । यदि डॉक्टर और मरीज का संबंध प्रेम पर आधारित होगा, तो चिकित्सा सेवा बेहतर होगी । इसके साथ-साथ डॉक्टर का मरीज के साथ संबोधन भी मधुर होना चाहिए । उन्होंने अपने संबोधन में मुख्य तीन बिन्दुओं A.B.C.- Availability (उपलब्धता), Behavior (स्वभाव) Communication (भाषाशैली) पर बल दिया । ये एक बेहतर चिकित्सा के आधारस्तंभ होते हैं । इसके साथ ही उन्होंने संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए चार आयामों जैसे- शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर प्रकाश डाला ।
सेमिनार में डॉ. संजीव कुमार हण्डू / चिकित्सा निदेशक, डॉ. रीना अग्रवाल / मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, डॉ. मृत्युंजय कुमार / अपर मुख्य स्वास्थ्य निदेशक, डॉ. अनुराग यादव / अपर मुख्य स्वास्थ्य निदेशक, डॉ. एस. एस. नायक / वरिष्ठ मण्डल चिकित्सा अधिकारी आदि उपस्थित थे । सेमिनार का संचालन श्रीमती ऋतु मसीह, मुख्य नर्सिंग अधीक्षक द्वारा किया गया ।
सेमिनार में सभी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ ने खुशी और उत्साह के साथ भाग लिया ।