दूरदर्शन के 64 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित की गई परिचर्चा,प्रबुद्ध जनों ने लिया हिस्सा
देश का गौरव दूरदर्शन मना रहा है अपना 64 वां स्थापना दिवस।स्थापना दिवस के मौके पर दूरदर्शन केन्द्र प्रयागराज ने एक परिचर्चा आयोजित की जिसमें समाज के प्रबुद्ध लोगों ने शिरकत की दूरदर्शन की शुरुआत से लेकर आज तक के अनुभवों को प्रबुद्ध जनों ने साझा किया।इस विशेष परिचर्चा का संचालन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व इतिहास विभाग के हेड प्रोफेसर योगेश्वर तिवारी ने किया।परिचर्चा में भाग ले रहे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व वरिष्ठ प्रोफेसर एच एन दुबे ने कहा कि दूरदर्शन की सटीकता सबसे विश्वसनीय मानी जाती है।दूरदर्शन के धारावाहिक और रामायण व महाभारत के प्रसारण ने क्रांति ही ला दी।हर घर में टेलीविजन खरीदे जाने लगे।वास्तव में टेलिविजन के युग की यही असली शुरुआत थी।वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉक्टर कार्तिकेय शर्मा ने कोरोना काल के अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि कोरोना की लहर में दूरदर्शन ही एक मात्र ऐसा चैनल था जिसने गाओं गिराव में कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाई और 2 गज की दूरी को बनाये रखने और कोरोना की लहर को कम करने में खासी मदद की।वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्री कांत शास्त्री ने कहा कि दूरदर्शन के समाचार को ही लोग आज तक विश्वसनीय मानते हैं।साथ ही लोग कलाओं और लोक नृत्यों के साथ हर भाषा के चैनल को शुरू करके दूरदर्शन सभी का प्रिय बन गया है।परिचर्चा में वक्ता के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ टी वी पत्रकार आलोक मालवीय ने कहा कि दूरदर्शन समाज का आईना है दूरदर्शन के धारावाहिक परिवार को बांधे रखने में महती भूमिका निभाते रहे हैं पूरा परिवार साथ बैठकर धारावाहिक देखा कराता था जिससे परिवार में एकता बनती थी और प्यार बढता था।साथ ही गणतंत्रता दिवस की परेड देख कर सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।दूरदर्शन की कमेंट्री लोगों को जोड़े रखने में आज भी कारगर है।
दूरदर्शन के 64 वर्षों के इस यादगार सफर को परिचर्चा का रूप देने में परिकल्पना दूरदर्शन प्रयागराज के कार्यक्रम प्रमुख
अभिषेक तिवारी ने किया।प्रस्तुति हर्षित कुमार की रही।दूदर्शन इस विशेष प्रस्तुति का प्रसारण अपने यू ट्यूब चैनल पर 15 सितंबर को रिलीज हुआ,जबकि दूरदर्शन उत्तर प्रदेश पर इस विशेष कार्यक्रम का प्रसारण रात्रि 10 बजे करेगा।