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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में बदली गई 200 साल पुरानी परंपरा

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दशहरा स्पेशल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में बदली गई 200 साल पुरानी परंपरा

 

रिपोर्ट-आलोक मालवीय
तीर्थराज प्रयागराज में दशहरे पर अलग अलग परम्पराएं देखने को मिलती है।ऐसी ही एक परंपरा से आपको रूबरू कराते है।गंगा के किनारे बसे पुराने मुहल्ले दारागंज में दशहरे पर माता काली का प्राकट्य होता है।रौद्र रूप में माता काली भक्तों का कल्याण करती हैं।इस 200 साल पुरानी परंपरा को बदला गया।

 

दरसल दारागंज में निकलने वाली काली मां की पूजा प्राचीन काल से पुरुष ही करते आये हैं।लेकिन लोक सभा और राज्य सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिलाओं को 33%आरक्षण देने के बाद दारागंज रामलीला के पूर्व काली संयोजक ओम प्रकाश चौधरी ने काली पूजा की परंपरा को बदला और अपनी बेटी अनामिका चौधरी से माता काली की विशेष पूजा करवाई और नई परंपरा को जन्म दिया।ओम प्रकाश बताते हैं कि पीढ़ियों से उनका परिवार माता काली की पूजा करता आया है और ये पूजा हमेशा घर के बड़े पुरुष ही करते हैं।

लेकिन उन्होंने मोदी के 33% आरक्षण के बाद ये निर्णय लिया कि शक्ति की पूजा मात्र शक्ति से कराई जाए। दारागंज में विगत 2 सदियों से पुरुष ही जाग्रत काली मंकी पूजा करते आये हैं।महिलाओं को सदन में 33% आरक्षण मिलने के बाद ये परंपरा बदली गई।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला आरक्षण का सम्मान करते हुए।इस परंपरा को चौधरी ने बदल दिया। दारागंज में सड़कों पर भक्तों को दर्शन देने काली मां निकलती हैं।

काली मां को 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगते हैं 8 घंटे

 

काली मां को 5 किलोमीटर की यात्रा तय करने में 8 घंटे का समय लगता है।जगह जगह भक्त जायफल, जावित्री,नीबू और नारियल से माता को प्रसन्न करते हैं।पैर पैतरा दिखाते हुए माता काली हांथों में खप्पर और भुजाली लिए भक्तो का कल्याण करती हैं।

काली यात्रा की क्या है मान्यता

 

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के वन गमन के समय सीता हरण प्रसंग हुआ था।मान्यता है कि खर और दूषण के वध के लिए काली मां प्रकट हुई थी और दुष्ट राक्षसों का संहार किया था।इस प्रसंग से लेकर दारागंज रामलीला कमेटी काली यात्रा निकालती है।मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के रथ के आगे माता काली चलती हैं।

काली पात्र का चुनाव होता है बड़ा कठिन

दारागंज की इस अनूठी परंपरा में काली पात्र बनने के लिए युवाओं में होड़ लगी रहती है।काली पात्र के चुनाव की प्रक्रिया बड़ी ही कठिन होती है।काली पात्र के चुनाव को दशहरे के एक महीने पहले कर लिया जाता है।फिर उसके खाने पीने और कसरत का इंतजाम दारागंज रामलीला कमेटी करती है।इस अवसर पर दारागंज रामलीला कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र यादव उर्फ कुल्लू यादव, महामंत्री जितेंद्र गौड़, श्रृंगार प्रभारी ओमप्रकाश चौधरी, पुरूषोत्तम स्वर्णकार, मेज़र सुनील निषाद, उपाध्यक्ष रवि निषाद, विजय सोनकर,अनिल सोनी,बाबी गिरी, सुजीत निषाद, अभिषेक चौधरी, शिव तिवारी, विपिन तिवारी, सुमित निषाद, अभिषेक अग्रवाल,सजल अग्रवाल, आयुष्मान,सुयश,पवन यादव, तीर्थराज पांडेय, विक्रम निषाद,अभिनव निषाद, राजीव सिंह के साथ हजारों लोग मौजूद रहे।

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