डीएम साहबःकब तक जोखिम सहेंगे कल के भविष्य,जिम्मेदारों ने बंद की आंखें
रिपोर्ट अब्दुल वाहिद
भदोही। जिले में बरसात का क्रम भले ही रफतार नहीं पकड़ा है लेकिन छोटी-बड़ी सड़कों की हालत बिगड़ने में देरी क्यों नहीं लगी जन-जन में यही क्रौंद रहा है कि आखिरकार हाईटेक युग में भी कल का भविष्य कब तक जोखिम सहेगा। पूर्वी सीमा को जोड़ रहीं हाईवे हो या सहायक मार्ग,सभी की हालत नाममात्र की बारिश ने चंद मिनटों बिगाड़ कर रख देती हैं और जिम्मेदार सबकुछ देखने और जानने के बाद तक समाधान की ओर पहल नहीं करते। लोगों ने यह सवाल उस परिस्थिति को देखने के बाद उठाया जब प्रदेश के मुखिया ने ग्रामीण परिवेश की सड़कों पर गंदे पानी का जमाव, अतिक्रमण किसी स्तर से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हकीकत तो यह है कि बड़ी सड़कों की लागत 60 करोड़ से अधिक या छोटी सड़कें 25 लाख में बनी हों,सभी एक ही ढर्रे पर किसी वक्त देखी जा सकती हैं। बुधवार को कुछ ऐसा ही दृश्य सूफीनगर वाया जंगीगंज रेलवे हाल्ट संपर्क सड़क पर सामने आया जो सोचने के लिए विवश कर दिया। लोगों ने नाराजगी जताई कि मात्र ढाई किमी की उक्त सड़क का रखरखाव प्रमुख कार्यदाई संस्था जिला पंचायत के अधीन है और पांच माह पूर्व लगभग 25 लाख की लागत से संवारा था। वर्तमान में हालात यह है कि बारिश की दो-चार बूंदो गिरी कि अगल-बगल रहने वाले शौचालय का भी दुर्गंधयुक्त पानी सड़क की ओर रूख कर देते हैं। जबकि सड़क से सटे सरकारी, अर्ध सरकारी स्कूल-कालेज, बाजार, रेलवे हाल्ट, आंगनबाड़ी केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने की होड़ 24 घंटे जारी रहती है। निजी स्कूलों में शिक्षणरत कल का भविष्य पैदल, साइकिल, अभिभावकों के दुपहिया-चार पहिया वाहनों से छपकोरिया खेल कर अपने गतंव्य की ओर रूख करते हैं जो सबसे अधिक कष्टकारी साबित होता है। इस समस्या का समाधान कराने में जिम्मेदारों की पलकें खुलेंगी या गैर जिम्मेदारों की कारस्तानी जारी रहेगी समय बताएगा।