हॉस्टल बाथरुम में कैमरा लगाने के आरोपी
पहुंचा सलाखों के पीछे।
पर मुख्य सवाल है अपराधियों के बढ़ते हौंसले और महिला असुरक्षा के इतने गंभीर मुद्दे पर पुलिस की असंवेदनशीलता का!!
आरोपी के जमानत पर छूटने के बाद ,पुनः
आई टी एक्ट 67A लगाई, जबकि पूर्व की तहरीर में ये धारा लगाने के तथ्य मौजूद थे।तो पुलिस ने पहले इसे क्यों नहीं लगाया??
बाहर निकलते ही उसने पुनः अपराध किया जिसके चलते उस पर कल एक महिला द्वारा पुनः FIR लखवाई गयी।
क़ानून का कार्य अपराधी के आगे चलने का है ताकि वह पुनः अपराध न कर सके। पर यहाँ उसे मौका दिया गया फिर अपराध का।
यह निराशाजनक है ।
अब ज़रूरत है आगे की कार्यवाही की गर्ल्स हॉस्टल सेफ़्टी के लिए गाइडलाइंस बने, हॉस्टलों के रजिस्ट्रेशन हो, हर 6 महीने पर सेफ़्टी ऑडिट हो!!जिसके लिए प्रयास जारी रहेंगे।
और सबसे महत्वपूर्ण सभी लोग अपने आसपास की लड़कियों को इस तरह के अपराधों के प्रति जागरूक करें, उन्हें सतर्क करें
और खुद भी इस तरह के अपराधों के प्रति जागरूक रहें।
ताकि अपराधियों के हौंसले पस्त हो सकें और लड़कियों की सुरक्षा घेरा मजबूत हो सके।