Friday, November 22Ujala LIve News
Shadow

विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर आरोग्य भारती द्वारा वेबीनार

Ujala Live

विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर आरोग्य भारती द्वारा वेबीनार

महर्षि सुश्रुत सर्जरी के आविष्कारक-डॉ०राघवेन्द्र कुलकर्णी

विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस के अवसर पर आरोग्य भारती प्रयागराज काशी प्रांत द्वारा ऑनलाइन स्वास्थ्य परिचर्चा का आयोजन किया गया भगवान धन्वंतरि की वंदना के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ मुख्य अतिथि आरोग्य भारती के मुख्य संरक्षक एवं संस्थापक अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र कुलकर्णी ने बताया कि महर्षि सुश्रुत सर्जरी के आविष्कारक माने जाते हैं। 2600 साल पहले उन्होंने अपने समय के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के साथ प्रसव, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पथरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की जटिल शल्य चिकित्सा के सिद्धांत प्रतिपादित किए।
सुश्रुत प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक थे। वे आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ सुश्रुतसंहिता के प्रणेता हैं। इनको शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है।
आज के आयुर्वेद चिकित्सकों को सिर्फ क्षार सूत्र अग्निकर्म एवं जोंक चिकित्सा तक ही सीमित नहीं रहना है बल्कि आचार्य सुश्रुत द्वारा बताए गए सभी शल्य कर्मों को फिर से स्थापित कर व्यवहार में लाना होगा।
आरोग्य भारती राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक
प्रो०(डॉ)जी एस तोमर ने बताया कि सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाया गया है। शल्य क्रिया के लिए सुश्रुत 101 तरह के यंत्र तथा 20 प्रकार के शस्त्रों का प्रयोग करते थे। ये उपकरण शल्य क्रिया की जटिलता को देखते हुए खोजे गए थे। आधुनिक शल्य कर्म में प्रयुक्त यंत्र, शस्त्र सुश्रुत की ही देन हैं।
सुश्रुत के बताए अष्टविध शस्त्र कर्म ही आधुनिक शल्य चिकित्सा में प्रयोग किये जा रहे हैं। सुश्रुत ने 300 प्रकार की ऑपरेशन प्रक्रियाओं की खोज की। सुश्रुत ने कॉस्मेटिक सर्जरी में विशेष निपुणता हासिल कर ली थी। सुश्रुत नेत्र शल्य चिकित्सा भी करते थे। सुश्रुतसंहिता में मोतियाबिंद के ओपरेशन करने की विधि को विस्तार से बताया गया है। उन्हें शल्य क्रिया द्वारा प्रसव कराने का भी ज्ञान था। सुश्रुत को टूटी हुई हड्डियों का पता लगाने और उनको जोडऩे में विशेषज्ञता प्राप्त थी। सुश्रुत श्रेष्ठ शल्य चिकित्सक होने के साथ-साथ श्रेष्ठ शिक्षक भी थे। उन्होंने अपने शिष्यों को शल्य चिकित्सा के सिद्धांत बताये और शल्य क्रिया का अभ्यास कराया। प्रारंभिक अवस्था में शल्य क्रिया के अभ्यास के लिए वे फलों, सब्जियों और मोम के पुतलों का उपयोग करते थे।

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर मोहित जैन ने बताया कि प्लास्टिक शब्द ग्रीक शब्द से बना हुआ है जिसका अर्थ होता है “आकार देना”। यह सर्जरी रिकंस्ट्रक्टिव एवं कॉस्मेटिक दो तरह से की जाती है। प्लास्टिक सर्जरी सर से लेकर पांव तक शरीर के किसी भी हिस्से में किया जाता है जबकि बाकी सभी सर्जरी में शरीर का एरिया स्पेसिफाई है। कॉस्मेटिक सर्जरी मेट्रो सिटीज में ज्यादा एडवांस है। जन्मजात बच्चों में फटे होठ (क्लेफ्ट पैलेट) सामान्य समस्या है जिसके लिए विश्व भर में कई कार्यक्रम चलाए जा रहे है। स्माइल ट्रेनिंग संस्था मुफ्त में ऐसे बच्चों का इलाज भी कर रहा है। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज में स्किन ट्रांसप्लांटेशन के लिए स्किन बैंक का प्रपोजल भेजा गया है और जल्द ही इसकी स्थापना होने के बाद यह प्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज होगा जहां स्किन ट्रांसप्लांटेशन सम्भव होगा।
मां शारदा हॉस्पिटल प्रयागराज के डायरेक्टर डॉक्टर आरके अग्रवाल ने आयुर्वेद के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डालते हुए इस क्षेत्र में अपने द्वारा किए गए व्यावहारिक अनुभवों को साझा किया । अपने स्वयं के दुर्घटनाग्रस्त होने पर की गई प्लास्टिक सर्जरी की सफलता का उदाहरण देकर उन्होंने इसे चिकित्सा विज्ञान की महत्वपूर्ण देन बताया ।

डॉक्टर शिव जी गुप्ता विभागाध्यक्ष शल्य तंत्र विभाग आयुर्वेद संकाय काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने बताया कि आचार्य सुश्रुत ने सर्जरी के अनेक ऐसे प्रोसीजर बताएं जिनका आज भी प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वेदों में सर्जरी के उदाहरण मौजूद हैं। भगवान गणेश को भगवान शिव जी द्वारा हाथी का मस्तक लगाना हेटेरोजेनस ट्रांसप्लांटेशन का उदाहरण है। इसके साथ ही साथ अश्विन कुमार द्वारा किए गए अन्य उदाहरण भी हैं।

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रयागराज की पूर्व शोध अधिकारी डॉ शांति चौधरी ने बताया कि आज हमें समग्र चिकित्सा(हॉलिस्टिक मेडिसिन) की आवश्यकता है क्योंकि कोई भी चिकित्सा पद्धति संपूर्ण नहीं है। प्लास्टिक सर्जरी के विभिन्न ब्रांच में आज अच्छा कार्य हो रहा है। स्तन कैंसर के साथ साथ मोटापा कम करने के लिए लायपोसक्शन, झड़ते बालों की समस्या के लिए हेयर ट्रांसप्लांटेशन प्लास्टिक सर्जरी के अंतर्गत ही आते हैं। आयुर्वेद चिकित्साधिकारी
डॉ अवनीश पाण्डेय ने बताया कि सुश्रुत प्रत्यक्ष कर्माभ्यासी थे।हमे आयुर्वेद की अपनी गौरवशाली परम्परा को आधुनिक वैज्ञानिक पृष्ठभूमि पर विकसित करने की आवश्यकता है।
शांति पाठ एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ दीप्ति योगेश्वर ने किया कार्यक्रम में डॉक्टर अतुल वार्ष्णेय, डॉ सुदीप तिवारी, डॉ मोनिका अग्रवाल, डॉ आशीष कुमार त्रिपाठी, डॉ० ज्वाला प्रसाद मिश्रा, डॉ अजय कुमार मिश्रा, डॉ विकास, डॉ हरिओम कोली, डॉ शशिकांत राय, डॉ एम डी दुबे सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× हमारे साथ Whatsapp पर जुड़ें