जनकवि कैलाश गौतम राष्ट्रीय काव्य कुंभ समारोह-2025 में बही काव्य रस की धार


प्रयागराज
जनकवि कैलाश गौतम राष्ट्रीय काव्य कुंभ समारोह-2025 कैलाश गौतम सृजन संस्थान प्रयागराज,तथा हिन्दुस्तानी एकेडेमी के सहयोग से हुआ आयोजित, समारोह के
मुख्य अतिथि:न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र
समारोह अध्यक्ष:न्यायमूर्ति अशोक कुमार
समारोह शुभारंभ:न्यायमूर्ति विपिन दीक्षित
अति विशिष्ट अतिथि: सुदेश शर्मा (निदेशक, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज)
अति विशिष्ट अतिथि: गणेश केसरवानी महापौर प्रयागराज, संतोष चौधरी,डॉ अरूणकांत, अजीत विक्रम सिंह, मनोज सिंह (मुख्य स्थाई अधिवक्ता)
संयोजक-संचालक:डॉ श्लेष गौतम
स्वागत:डॉ श्लेष गौतम
धन्यवाद: अनुराग अरोरा, मनीष घोष
हिंदुस्तानी एकेडेमी,उत्तर प्रदेश,प्रयागराज तथा कैलाश गौतम सृजन संस्थान प्रयागराज द्वारा आज जनकवि कैलाश गौतम की स्मृति में 19वीं पुण्यतिथि वर्ष के अवसर पर राष्ट्रीय काव्य कुंभ समारोह(संवाद संगोष्ठी एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन,मुशायरा तथा सम्मान समारोह) हिन्दुस्तानी एकेडेमी प्रयागराज में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में सम्मानित अतिथियों तथा रचनाकारों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया तत्पश्चात जनकवि कैलाश गौतम जी के चित्र पर माल्यार्पण करके उन्हें पुष्पांजलि भी अर्पित की गई।
समारोह में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रचनाकारों ने काव्य पाठ किया एवं तमाम विभूतियों का सम्मान हुआ।
तत्पश्चात् सम्मान हुआ।
सर्वप्रथम मुख्य सम्मान:
जमुना प्रसाद उपाध्याय (अयोध्या) – जनकवि कैलाश गौतम राष्ट्रीय काव्य कुंभ सम्मान 2025
तत्पश्चात ख्यातिलब्ध रचनाकारों को
जनकवि कैलाश गौतम सर्जना सम्मान 2025 प्रदान किया गया।
1: सुरेन्द्र सार्थक (डींग-राजस्थान
2: शरीफ़ भारती (मुरादाबाद)
3) सरोज त्यागी (ग़ाज़ियाबाद)
4: डॉ प्रकाश खेतान
5:डॉ आदित्य जैन (कोटा)
6: अभिषेक तिवारी (शिमला,)
7: मिस्बाह इलाहाबादी (प्रयागराज)
जनकवि कैलाश गौतम साहित्य सरोकार-सेवा सम्मान 2025
1: महेश प्रताप श्रीवास्तव (बस्ती)
2: विनीत पाण्डेय (लखनऊ)
3:हिमांशु कुमार (प्रयागराज)
4: अजीत सिंह (प्रयागराज)
5: राजीव सिंह (प्रयागराज)
6:डॉ सुभाष यादव (प्रयागराज)
7: पंकज सिंह (प्रयागराज)
8:डॉ पुष्पेंद्र प्रताप सिंह (प्रयागराज)
समारोह अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार: कैलाश गौतम आम आदमी एवं लोकरंग के कालजयी कवि हैं ।आपकी कविताएं अविस्मरणीय हैं और कैलाश जी की रचनाओं में इतिहास का संदर्भ भी है साथ ही साथ अपने कठिन होते समय से मुठभेड़ का साहस भी है और भविष्य के प्रति एक आशा और उम्मीद की किरण भी है और इतना ही नहीं कैलाश गौतम की रचनाओं में यथार्थ का सजीव चित्रण हैं और उनकी कविताएं ऐसा लगता है कि मानवीय संवेदनाएं और उनकी भावनाओं का सर्वोत्तम चित्रण है।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने कहा- कैलाश गौतम जी की कविताओं में समय-समाज का सच है और विडंबनाओं विद्रुपताओं के विरुद्ध खड़े होने का साहस भी। कैलाश जी लोकरंग के अद्भुत कवि थे जिनकी कविताओं में जीवन का दर्शन और व्यवहारिक संकटों का यथार्थ चित्रण है।आज भी कैलाश गौतम जी की कविताएं हम-सभी के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का काम करती हैं।
न्यायमूर्ति विपिन दीक्षित ने कहा -कैलाश गौतम की रचनाएं आज भी ख़ूब सुनी-सराही जाती है।इसी वर्ष के महाकुंभ के समय कैलाश जी की ‘अमवसा के मेला’ कविता सोशल मीडिया पर धूम मचा रही थी।आपकी कविताओं में जनमानस के सुख-दुख का सहज चित्रण है जो इसे सीधे-सीधे आम आदमी से जोड़ता है।
विशिष्ट वक्ता अंजनी कुमार सिंह ने कहा- कैलाश गौतम की कविताएं आज
भी बड़े चाव से सुनी जा रही है।आपकी लोकरंग की कविताएं हमारे लिए एक उपलब्धि और मार्गदर्शन की तरह हैं। प्रयागराज को कविता के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया।
विशिष्ट अतिथि राकेश पाण्डेय बबुआ (अध्यक्ष हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद)
ने कहा कि कैलाश गौतम जी की कविताएं सदैव प्रेरणा देने राह दिखाने का काम करती हैं समाज के लिए और ऐसे आयोजन हमें हमारी परंपराओं और संस्कृतियों से और जोड़कर चलते हैं,जहां हम अपने पुरखों पूर्वजों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों को निरंतर उत्सव की तरह जीते हैं।
साथ ही श्री राकेश पांडे ‘बबुआ’ अध्यक्ष हाई कोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद, डॉ एस एम सिंह,श्री अखिलेश शर्मा महासचिव हाई कोर्ट बार एसोसिएशन,श्री मनोज कुमार सिंह मुख्य स्थाई अधिवक्ता उत्तर प्रदेश सरकार,श्री अजीत विक्रम सिंह समेत कई विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही।
समारोह सम्मान सत्र का संचालन श्री अजीत सिंह ने तथा कवि सम्मेलन सत्र का संचालन डॉ श्लेष गौतम ने किया।
रचनाकारों की पंक्तियां:
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जुगनू भी मेरे घर में चमकने नहीं देते
कुछ लोग अंधेरों को सिमटने नहीं देते
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नदी के घाट पर भी यदि सियासी लोग बस जाएं
तो प्यास होंठ एक-एक बूंद पानी को तरस जाएं
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सहेजा है इन्हें मैंने जतन से।
मेरी पहचान होती है सुख़न से।
नहीं कांटो पे है इल्ज़ाम लाज़िम
हैं सारे ज़ख्म फूलों की चुभन से।
खुदा महफूज़ रख दिल्ली का मौसम,
परेशानी है उसको अब घुटन से।
जमुना प्रसाद उपाध्याय (अयोध्या)
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धरा कभी छोड़ी नहीं,छूकर भी आकाश
अजर-अमर तुम हो गए,कविता के कैलाश
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गिरने के इस दौर का,आंखों देखा हाल
पारा जाड़े में गिरा,नीयत पूरे साल
डॉ श्लेष गौतम (संयोजक-संचालक)
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खोई हुई चीजों को यादों में पास रखता हूँ
मैं अपने किरदार में सबकुछ ही ख़ास रखता हूँ
इसीलिए तो नहीं बनती मेरी समंदर से
वो ग़ुरूर रखता है तो मैं भी प्यास रखता हूँ
शशांक प्रभाकर ‘नीरज’ (आगरा)
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उस का दिल सौदागर निकला
मुश्किल से मैं बाहर निकला ।
मतलब से रखता था रिश्ता
मैं हर इक से कमतर निकला ।
दान बहादुर सिंह
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*बाग में कोयल पपीहा मोर भी हैं,*
*क्या हुआ हम बाज़,चीलों की तरफ ही जा रहे हैं।*
*हैं हरे मैदान,गुलशन,बस्तियां भी,*
*और हम सुनसान टीलों की तरफ ही जा रहे हैं।*
*जातियां,साहित्य,मजहब,राजनीती,*
*आज इन में हम कबीलों की तरफ ही जा रहे हैं।*
डॉ सुरेन्द्र सार्थक (डीग राजस्थान)
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प्रीत की रीत को बस लगन चाहिए
ना मुकम्मल धरा ना गगन चाहिए
राधिका रुक्मिणी सत्यभामा नहीं
मीरा रानी दीवानी सा मन चाहिए
सरोज त्यागी (ग़ाज़ियाबाद)
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कर गई आज सूनी गली बेटियां
छोड़ बाबुल के घर को चली बेटियां
हॅंस के मुस्कायेगी जादू कर जाएगी
खुशबुओं सी महकती कली बेटियां
डॉ आदित्य जैन (कोटा-राजस्थान)
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ऐ सूरज तेरी नज़रों से बहुत कुछ बच भी जाता है
अजब है वक्त की झूठा दिखावा पच भी जाता है
जहां सारे ज़माने की सुनो हिम्मत नहीं पड़ती
वहीं सच बोलकर इतिहास कवि इक रच भी जाता है
महेश प्रताप श्रीवास्तव (बस्ती)
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तू मेरी जान है जाने जाना
तू जो कह दे तो कलेजा निकाल कर रख दूं
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उसे देखकर बांकपन खो गया है
नयन का भी हर एक सपन खो गया है
समाई थी जिस मूर्ति में मीराबाई
उसी में हमारा भी मन खो गया है
हेमा पाण्डेय (लखनऊ)
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तुम दोस्त बन के देखो दुश्मन तो है ज़माना
कहना बहुत सरल है मुश्किल मगर निभाना
यूं तो कई मुसाफिर मिलते हैं ज़िंदगी में
मुश्किल बहुत है यारों एक हमसफ़र बनाना
अंकिता शुक्ला (सीतापुर)
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हवा कैसे मेरे फॅंसाने की निकली
वो लड़की भी मॉडर्न ज़माने की निकली
लोकेशन जो भेजी थी मिलने की उसने
बहुत पीटा मुझको वो थाने की निकली
शरीफ भारती (मुरादाबाद)
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मेरे हिस्से का वक़्त भी शायद
ज़िन्दगी के हिसाब में गुम है
है सियासी नशा बुजुर्गों पर
नौजवानी शराब में गुम है
पुष्पेंद्र पुष्प (उरई)
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इन सांसों पर बस इक तेरा पहरा है,
इन आंखो में बस इक तेरा चेहरा है
अभिषेक तिवारी (शिमला)
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इसके साथ ही डॉ प्रकाश खेतान, शैलेंद्र मधुर, कुमार विकास, मिस्बाह इलाहाबादी,अभिजीत मिश्रा एवं वंदना शुक्ला ने काव्यपाठ किया।
कार्यक्रम में संतोष चौधरी, अजीत सिंह,सरदार हरजिंदर सिंह, अनिल गुप्ता अन्नू भैया, सरदार दिलजीत सिंह, अनिल अरोरा संतोष तिवारी,इं. संजय सिंह इंजीनियर मनीष घोष, डॉ नीलम सिंह, डॉ राहुल बिसारिया,डॉ पंकज रावत,डॉ पवन गुप्ता, डॉ धीरेंद्र विक्रम सिंह,डॉ हरीश तिवारी,डॉ संदीप मिश्रा,डॉ नेहा भारती, डॉ कृतिका, डॉ संजीव कुमार समेत तमाम विशिष्ट जनों एवं विभूतियों के साथ-साथ कला साहित्य संस्कृति के बहुत से लोगों की भागीदारी रही।
