‘मैं आजाद हूं’ ने दर्शकों में जगाया आजादी का जोश
किसी भी नाटक के मंचन के दौरान इससे अच्छा क्या होगा कि कलाकारों की अदाकारी पर दर्शक आखिरी वक्त तक सीट न छोड़ें। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के द्वारा अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की जयंती के अवसर पर रविवार को आज़ाद पार्क (कंपनी बाग) में डॉ. राजेन्द्र उपाध्याय के निर्देशन में नाटक ‘मैं आजाद हूं’ का मंचन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने दीप प्रज्वलित करके किया.
नाटक की शुरूआत वंदे मातरम गीत के साथ होती है, जिसमें कलाकारों द्वारा मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है। नाटक पूरी तरह से आज़ाद के जन्म व ब्रिटिश हुकूमत की सरकार से लोहा लेकर देश को आज़ाद कराने में जनमानस के अंदर किस तरह राष्ट्र चेतना जाग्रत करना तथा काकोरी ट्रेन काण्ड के इर्द-गिर्द घूमती है। जब बचपन में चन्द्रशेखर आज़ाद अपनी मां को बिना बताए काशी पढ़ने जाते हैं और बाद में अपनी मां को पत्र के माध्यम से इसकी जानकारी देते हैं, यह दृश्य देखकर दर्शक भाव विह्वल हो उठते हैं।
शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद जी की माता के अभिनय में डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने दर्शकों की आंखे नम कर दी। नाटक में कलाकारों नेअपने उम्दा अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ओम प्रकाश, शान्तनु, सुधीर पाण्डेय, दीपक यदुवंशी के किरदार ने नाटक को अंत तक बांधे रखा।
वाराणसी से आए विभिन्न कलाकारों ने शहीदों के विभिन्न किरदारों का सजीव मंचन किया। जिससे दर्शक दीर्घा में मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो गए। शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, लाला लाजपतराय, मोती लाल नेहरू, राजगुरु का रोल कलाकारों ने बखूबी से निभाया।
वही फौजदार सिंह ने आल्हा शैली “कैसे करूं बयान, अंग्रेजों से लोहा लेना था नहीं आसान ” एवं “हसरत मन में ठान खाक जंगल की छानी” की शानदार प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत कर दर्शक दीर्घा में बैठे युवाओं को रोमांचित कर दिया।
इस अवसर पर केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने कलाकारों को पौधा देकर आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर केंद्र निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा सहित केन्द्र के अधिकारी, कर्मचारी तथा काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री हिमानी रावत ने किया।