रथ पर सवार होकर निकली लंकेश की सवारी,देश भर के बैंड और डी जे ने बधाई शोभा
रिपोर्ट-आलोक मालवीय
तीर्थराज की अनूठी परंपरा के साक्षी बने लोग। रावण की शोभायात्रा से होती है प्रयागराज में दशहरे की शुरुआत देश भर के बैंडों ने बजाई सुमधुर धुन। भारत परंपराओं का देश है और इसी परंपरा में विशेष है मर्यादा पुरुषोत्तम राम से पहले राक्षस राज रावण के पूजा की परंपरा।
इस परंपरा में लंकेश का विधिवत उसके परिवार और कुटुम्ब के साथ श्रृंगार किया जाता है।फिर रावण के ननिहाल भारद्वाज ऋषि के आश्रम में लकेश की उनके परिवार के साथ विधिवत आरती उतारी जाती है।उसके बाद जय लकेश के जयघोष के साथ निकलती है महाराजा रावण की सवारी।
कटरा रामलीला कमेटी के द्वारा प्राचीन काल से रावण की शोभायात्रा निकाली जाती है।इस शोभायात्रा में रावण के भाई विभीषण,कुम्भकर्ण के साथ रानी मंदोदरी और बेटा इंद्रजीत अट्टहास करते हुए निकलते हैं।
इस वर्ष विशेष रूप से रावण की सवारी की अगवानी देश भर के मशहूर बैंडों ने की।रावण की शोभायात्रा के साथ प्रयागराज में दशहरे की शुरुआत हो जाती है।रावण की शोभायात्रा में कमेटी के सुधीर केसरवानी,विशाल वर्मा,गोपालबाबू जायसवाल,विपुल मित्तल सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।