मुस्लिमों के हालात दलितों से भी बत्तर – सलीम शेरवानी
रिपोर्ट आलोक मालवीय
सलीम शेरवानी ने खेला मुस्लिम दलित कार्ड
शेरवानी ने सपा के महासचिव पद से दिया स्तीफा
आगे का रुख अपने समर्थकों से बात करके साफ करेंगे
दिल्ली से लौटे सलीम शेरवानी का समर्थकों ने किया स्वागत
मुस्लिमों का ध्यान नहीं रखने का आरोप
प्रयागराज।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद सलीम इकबाल शेरवानी ने भी समाजवादी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को पद छोड़े जाने का पत्र रविवार को ही भेजा है। सियासी गलियारे में चर्चा है कि प्रयागराज निवासी सलीम शेरवानी एक बार फिर कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं। वहीं, कुछ नजदीकी नेताओं ने उनके भाजपा के संपर्क में भी होने की बात कही है।सलीम शेरवानी की गिनती पार्टी के कद्दावर नेताओं में होती रही है। वह बदायूं सीट से पांच बार सांसद रहे चुके हैं। 2019 के चुनाव में सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के चुनाव हारने के बाद सलीम को उम्मीद थी कि सपा इस बार उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित करेगी, लेकिन अखिलेश यादव ने उस सीट से अपने भाई धर्मेंद्र यादव को दोबारा प्रत्याशी घोषित कर दिया।लेकिन सलीम शेरवानी के बगावती सुर को दबाने के लिए इसी सीट से अपने चाचा शिवपाल यादव को चुनावी अखाड़े में उतार दिया।इसके बाद
समाजवादी पार्टी में महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी के सुर अखिलेश यादव को लेकर नरम पड़े। 3 दिन पहले अखिलेश यादव को लेकर मुखर रहने वाले सलीम शेरवानी ने अब कहा है कि अगर अखिलेश यादव उन्हें बातचीत के लिए बुलाते हैं तो वह जरूर जाएंगे और समाजवादी पार्टी में बने रहने के फैसले पर भी जरूर सोचेंगे। उन्होंने शिवपाल यादव से बेहतर रिश्ते होने की भी बात कही है। सलीम शेरवानी के मुताबिक बीजेपी की तरफ से अब तक उन्हें कोई ऑफर नहीं मिला है, लेकिन कांग्रेस के कुछ नेताओं ने उनसे बातचीत जरूर की है।सलीम ने कहा की अपने समर्थकों से बात करके 10 दिन बाद अपने पत्ते खोलेंगे।लेकिन सलीम शेरवानी ने अपने को मुसलमानों का बड़ा नेता होने का दावा बातों बातों में कर दिया।सलीम इकबाल शेरवानी का स्वागत करने समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता बब्बन दुबे अपने समर्ताहकों के साथ उनके आवास पर पहुंचे थे।