नामधारी होले मोहल्ले में गुरुवाणी को मानकर सच्चे खालसा बनने का संदेश
सतगुरु दलीप सिंह के आदेश अनुसार नामधारी समागमों में स्त्रियों की 50% हिस्सेदारी को क्रियात्मक रूप
हमें गुरुवाणी को अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है, तभी हम सतगुरु जी के सच्चे सिख तथा खालसा बन सकते हैं। जैसे सतगुरु नानक देव जी ने गुरुवाणी में स्त्री को मंदा ना कहने का आदेश दिया है। पर, हम जब स्त्री को भला बुरा कह कर उसका तिरस्कार करते हैं तो उनके वचनों की अवहेलना करके, हम कैसे उनके सिख रह सकते हैं। ये सदुपदेश नामधारी मुखी ठाकुर दलीप सिंह ने होले मोहल्ले समागम के दौरान अपने लाइव संदेश के द्वारा उच्चारण किए। तथा गुरुवाणी को ही मानते हुए उन्होंने संगत को रोग रहित जीवन जीने के नियम बताए। उन्होंने कहा कि यदि हमारा शरीर अस्वस्थ रहेगा तो हम भगवान की भक्ति कैसे कर सकते हैं।
होले मोहल्ले का विलक्षण रूप देखने को मिला। यह समागम दुनिया के शोरगुल से अलग प्रभु भक्ति के रंगों से ओत प्रोत था। यहां पहुंचे रागियों, जत्थेदारों तथा विद्वानों ने कथा कीर्तन द्वारा गुरु इतिहास से जोड़ा।
दीवान की पुरातन मर्यादा द्वारा हल्ले के दीवान सजाए गए। गुरुवाणी के पाठों के भोग डाले गए। इस समागम के दौरान प्रत्येक क्षेत्र में स्त्रियों ने विशेष रूप से भागीदारी निभाई। क्योंकि ठाकुर दलीप सिंह केवल स्त्रियों के सम्मान की बात ही नहीं करते, उसे प्रत्यक्ष रूप में करके भी दिखाया है। जहां स्त्रियां सेवा सिमरन कर अपना जन्म सफल करते हैं वही मंच संचालन कर, पाठों के भोग डालकर, आनंद कारज करवा कर प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के बराबर अग्रणी होकर 50% की भागीदारी निभाती हैं।
यहां हजारों की संगत का विशाल समूह श्रद्धा पूर्वक नतमस्तक होता नज़र आया। लंगर में पौष्टिकता भरपूर आहार तथा शरदाई का लंगर अटूट वितरित हुआ।
यहां मुख्य रूप से गुरसेवक सिंह औलख अध्यक्ष इंडस्ट्री कमिशन पंजाब, एम. एल.ए. अर्जुन सिंह चौटाला हलका रानियां, मास्टर सुखदेव सिंह, संत जसपाल सिंह संतावाली, सूबा बलजीत सिंह, वकील नरेंद्र सिंह, सुरिंदर सिंह ब्रांडिया, पलविंदर सिंह कुकी, बलविंदर सिंह डुगरी, रघुवीर सिंह बाजवा, मुख्तियार सिंह दमदमा, कुलविंदर सिंह रानियां, बलकार सिंह भिंडर, ठेकेदार जसवीर सिंह सिरसा, सूबा भगत सिंह और हजारों की संगत हाजिर हुई।