शिक्षा के साथ साथ संस्कार की भी आवश्यकता= शांतनु महाराज

सलोरी काटजू बाग कालोनी स्थित दुर्गा पूजा पार्क में भईया जी का दाल भात परिवार और श्री सुमंगलम सेवा न्यास की ओर चल रही कथा का तीसरा दिन
प्रयागराज। सलोरी काटजू बाग कालोनी स्थित दुर्गा पूजा पार्क में भईया जी का दाल भात परिवार और श्री सुमंगलम सेवा न्यास की ओर से सेवा कार्यों के सहयोगार्थ आयोजित हो रही नौ दिवसीय संगीतमय श्री रामकथा के तीसरे दिन मंगलवार को कथा व्यास आचार्य शांतनु महाराज ने जन्मोत्सव की बधाई के साथ कथा प्रारंभ की। शांतनु महाराज ने बताया कि जब भगवान प्रगट हुए तो देवता भी आकाश मार्ग से पुष्प की वर्षा करने लगे और अयोध्या के लोग भगवान के दर्शन के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने अयोध्यावासियों का उदाहरण देकर भगवान के दर्शन की आचार संहिता बताई, कि जो जैसैई तैसेइ उठि धावा। भगवान को प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार की बनावट दिखावट की आवश्यकता नहीं है, आप जैसे हो उसी प्रकार से बस परमात्मा को पाने के लिए दौड़ जाओ और भजन में भक्ति में परमार्थ में स्वार्थी होना ही पड़ता है और जो जितना भजन में स्वार्थी हो जाता है संसार के व्यवहार में परमार्थी हो जाता है महाराज जी ने भगवान के बाल लीलाओं का श्रवण कराते हुए उनके रूप दर्शन का वर्णन किया भगवान का रूप सर्वांग मधुर ही मधुर है। वल्लभाचार्य जी के मधुराष्टकं से महाराज जी ने भगवान के रूप सौंदर्य का वर्णन किया। नामकरण संस्कार की चर्चा करते हुए शांतनु महाराज ने कहा कि नाम संतों से शास्त्रों से बड़े बुजुर्गों से विद्वानों से पूछ कर ही रखना चाहिए, क्योंकि हमारे यहां पुरानी कहावत है यथा नाम तथा गुणः नाम से ही पालक में किस प्रकार के गुणों का निर्माण होने लगता है। इसीलिए गुरु वशिष्ठ ने चारों भाइयों का नामकरण विशेष प्रकार से किया। शांतनु महाराज ने भारत के प्राचीन महान वैदिक गुरुकुल शिक्षा परंपरा के ऊपर भी प्रकाश डाला कि भगवान चारों भाइयों के सहित गुरुकुल में पढ़ने गए, इसलिए आज भी वह गुरुकुल वैदिक परंपरा प्रासंगिक है क्योंकि आज हम शिक्षित तो बना पा रहे हैं समझदार नहीं बना पा रहे हैं शिक्षा और समझदारी में अंतर है और नए भारत का निर्माण यदि करना है शिक्षा के साथ साथ संस्कार की भी अत्यंत आवश्यकता है। हम आने वाली पीढ़ियों को पैसे कमाने की मशीन बना रहे हैं और ऐसे बालक कभी भी अपने माता पिता परिवार समाज राष्ट्र महत्व नहीं समझते। अतः भारत को यदि पुनः स्थापित करना है इन छोटी छोटी बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के प्रसंग में महाराज जी ने बताया कि भगवान विश्वामित्र जी के साथ जाकर उनके यज्ञ की रक्षा करते हैं अर्थात जिस को भी अपने जीवन रूपी यज्ञ कि यदि की रक्षा करना है उसको राम और लक्ष्मण अवश्य साथ रखने होंगे राम यानी सत्य लक्ष्मण यानी वैराग्य त्याग समर्पण तो जीवन में सत्य की सुगंध भी आनी चाहिए वैराग्य समर्पण भी बनना चाहिए। भगवान ने मां अहिल्या का उद्धार किया है। कथा के दौरान मुख्य स्थाई अधिवक्ता शीतला प्रसाद गौड़, भाजपा नेता अरुणेंद्र सिंह अन्नू भइया, डा शैलेश पांडेय, सुजीत सिंह, राजू शुक्ल, कंचन शुक्ला, कुलदीप सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।
