हँसते हँसाते विस्थापन का दर्द कुरेद गया नाटक पार्क नाटक पार्क थोड़े में बहुत कुछ कहा
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लोगों को जब उनकी जगह से निकाल कर दूसरी जगह फेंक दिया जाता है तो वो कभी भी उसे अपनी जगह के रूप में स्वीकार नहीं कर पाते। वो, उनकी पुश्तें पूरी ज़िन्दगी इंतज़ार करते हैं, इस आशा में कि एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा और उन्हें वापिस बुला कर उनकी जगह दे दी जाएगी, पर ऐसा कभी होता नहीं, वो चाहे एक परिन्दे का एक-एक तिनका जोड़ कर बनाया गया घोसला हो, या किसी और का अपना बसेरा। विस्थापन का दर्द तो वही समझ सकता है जिसने इसे झेला हो।
इस गंभीर समस्या को एक पार्क की तीन बेंचों के माध्यम से बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया नाटक पार्क मे जिसका मंचन शनिवार शाम स्वराज विद्यापीठ द्वारा आयोजित ‘स्वराज महोत्सव 2022’ में विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान द्वारा श्री अजय मुखर्जी के कुशल निर्देशन मे किया गया।
मानव कौल लिखित इस नाटक ने दर्शकों को हँसते-मुस्कुराते विस्थापन के दर्द को महसूस कराया और एक पार्क की तीन बेंचों के माध्यम से कलाकारों ने इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पटल तक पहुँचाया।
नाटक पार्क मे अपने अभिनय से दर्शकों को बाँधे रखने वाले कलाकार थे – अक्षत अग्रवाल, सौरभ शुक्ला, रोहित यादव, रजत कुशवाहा एवं आर्यन प्रकाश। मंच परे -संगीत संचालन – शुभम वर्मा, संगीत परिकल्पना एवं निर्देशन – अजय मुखर्जी।