साथी छात्र की गोली मारकर हत्या करने वाले नाबालिग किशोर को जमानत पर रिहा करने से इंकार,जमानत अर्जी खारिज
विधि संवाददाता प्रयागराज20सितंबर।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के बहसुमा थाने में हत्या आरोपी नाबालिग की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत सामाजिक पृष्ठभूमि या
सामाजिक जांच रिपोर्ट पर बहुत अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता है। क्योंकि,
ऐसी रिपोर्टें उचित शोध के बगैर तैयार की जाती हैं और आधी-अधूरी रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जो अक्सर बहुत सतही और अवैज्ञानिक होती हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा ने हत्या आरोपी की
जमानत अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अदालत पीड़ित व आरोपी दोनों पक्षों की चिंताओं को दूर करने के लिए बाध्य हैं।
कोर्ट ने कहा कि किशोरों को जमानत देते समय अपराध की प्रकृति, अपराध कारित
करने का तरीका, लागू पद्धति, मानसिक स्थिति, संलिप्तता की सीमा, उपलब्ध
साक्ष्य पर विचार करना चाहिए।
जहां किशोर 16 साल की उम्र से कम है या अधिक है। दोनों श्रेणियों के बीच
कोई कृत्रिम रेखा नहीं खींची जा सकती है ।
याची पर अपना रिपोर्ट कॉर्ड लेने गए नितिन की गोली मारकर हत्या
करने का आरोप है। आरोपी किशोर की आयु 13 वर्ष और छह महीने से कम की पाई गई।
नाबालिग ने अपने अभिभावक पिता के मार्फत से जमानत के लिए आवेदन किया। लेकिन
बोर्ड ने उसे खारिज कर दिया।
विशेष न्यायालय पॉस्को एक्ट ने भी जमानत देने से इंकार कर दिया।अब हाईकोर्ट ने भी राहत देने से इंकार कर दिया है। और कहा है कि परिवीक्षा
अधिकारी की देखरेख में आरोपी को रखा जाय।
कोर्ट ने कहा कि इस
तरह के किशोर अपराधी को रिहा नहीं किया जा सकता, यदि यह मानने के लिए उचित आधार हैं
कि रिहाई से किशोर के किसी अपराधी के साथ जुड़ने की संभावना है।
कोर्ट ने किशोर की पहचान को उजागर करने को सही नहीं माना।कहा उसकी रिहाई हानिकारक हो सकती है।
कोर्ट ने कहा कि इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि किशोर एक
देशी बंदूक से लैस होकर आया था।और फायर कर हत्या कर दी थी। यह तथ्य दर्शाता है कि वह योजना बनाकर आया था।