यह इतिहास सभी को पता होना चाहिए!इतिहास के वो पृष्ठ जो पढ़ाए नहीं गये-सरदार पतविंदर सिंह
दुनिया में मानव अधिकारों के लिए पहली शहादत थीl
नैनी प्रयागराज /भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने कहा कि दोपहर का समय और जगह चाँदनी चौक दिल्ली लाल किले के सामने जब मुगलिया हुकूमत की क्रूरता देखने के लिए लोग इकट्ठे हुए पर बिल्कुल शांत बैठे थे !
लोगो का जमघट !! और सबकी सांसे अटकी हुई थी ! शर्त के मुताबिक अगर साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी इस्लाम कबूल कर लेते हैं,तो फिर सब हिन्दुओं को मुस्लिम बनना होगा,बिना किसी जोर जबरदस्ती के !औरंगजेब के लिए भी ये इज्जत का सवाल था समस्त हिन्दू समाज की भी सांसे अटकी हुई थी क्या होगा? लेकिन गुरु जी अडिग बैठे रहे। किसी का धर्म खतरे में था धर्म का अस्तित्व खतरे में था तो दूसरी तरफ एक धर्म का सब कुछ दांव पे लगा था ! हाँ या ना पर सब कुछ निर्भर था। खुद चल के आया था औरगजेब,लालकिले से निकल कर सुनहरी मस्जिद के काजी के पास,,,उसी मस्जिद से कुरान की आयत पढ़ कर यातना देने का फतवा निकलता था ! वो मस्जिद आज भी है ! गुरुद्वारा शीष गंज,चांदनी चौक, दिल्ली ! के पास पुरे इस्लाम के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न था !आखिरकार जब इसलाम कबूलवाने की जिद्द पर इसलाम ना कबूलने का हौसला अडिग रहा तो जल्लाद की तलवार चली और प्रकाश अपने स्त्रोत में लीन हो गया ।
ये भारत के इतिहास का एक ऐसा मोड़ था जिसने पुरे हिंदुस्तान का भविष्य बदलने से रोक दिया ।
हिंदुस्तान में हिन्दुओं के अस्तित्व में रहने का दिन !! सिर्फ एक हाँ होती तो आज हिंदुस्तान का इतिहास और होताl साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी जिन्होंने “हिन्द की चादर” बनकर तिलक और जनेऊ और हिंदुस्तान की रक्षा की उनका अदम्य साहस भारत वर्ष कभी नही भूल सकताl कभी एकांत में बैठकर सोचिएगा अगर साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी अपना बलिदान न देते तो हर मंदिर की जगह एक मस्जिद होती और घंटियों की जगह अज़ान सुनायी दे रही होती। भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा काशी क्षेत्र,क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सरदार पतविंदर सिंह ने अंत में कहा कि दुनिया में मानव अधिकारों के लिए पहली शहादत थीl 24 नवम्बर का यह इतिहास सभी को पता होना चाहिए !इतिहास के वो पृष्ठ जो पढ़ाए नहीं गये !