हिंदुस्तानी एकेडमी में विद्वत गोष्ठी व सम्मान समारोह सम्पन्न
साधु संतों ने राम वन गमन मार्ग पर लगाई मोहर, यमुना के किनारे किनारे गए थे भगवान राम चित्रकूट।. राम वन गमन मार्ग पर साधु संतों की अगुवाई में यात्रा 26 अक्टूबर को, विद्वत परिषद प्रयागराज द्वारा हिंदुस्तानी एकेडमी में भगवान राम और महर्षि विषय पर विद्वत गोष्ठी का महर्षि भरद्वाज की प्रतिमा पर साधु संतों के साथ मंडलायुक्त के समक्ष में माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात वीरेंद्र पाठक ने वैज्ञानिक व बाल्मीकि रामायण के चौपाइयों का उल्लेख करते हुए श्रीराम वन गमन मार्ग पर कहा कि प्रमु श्री बक्शी मोड़ा से यमुना नदी को पार कर यमुना के किनारे किनारे चित्रकूट तक गए है।जिस पर साधु संतों ने हाथ उठाकर सहमति देकर मोहर लगाई।
मंडलायुक्त विजय विश्वास ने कहा प्रयागराज में विभिन्न धार्मिक स्थलों की पहचान दिलाने में साधु संतों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।पौराणिक स्थलों का विस्तार एवं सौंदर्यीकरण पर कहा कि कुंभ के पहले प्रयागराज में दिव्यता और भव्यता धरोहर के रूप में स्थापित होंगे। प्रयागराज को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने प्रयागराज विद्वत परिषद की पांच मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने और अमल में लाने की बात भी कहीं ।सुजावनदेव से लेकर ऋषियन तक सभी पौराणिक स्थलों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी प्रधानों को प्रदान की जाएगी।
पूर्व कुलपति प्रो0 के बी पाण्डेय ने संबोधित करते हुए कहा सीता राम का जीवन व चरित्र एकदम आईना की तरह सर्व समाज में व्याप्त है। न्यायमूर्ति सुधीर नारायण ने कहा महर्षि भरद्वाज शिक्षा पद्धति के प्रथम कुलपति थे।उन्होंने भारतीय संस्कृति और संस्कारित जीवन का ज्ञान कराया है।सर्वसमाज के पथप्रदर्शक रहे है।श्रीराम स्मृति वन गमन यात्रा साधु संतों की अगुवाई में एक नया अध्याय लिखेगा। स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा कि इस मार्ग पर यह यात्रा आगे वाले समय में लोगों का पथ प्रदर्शन करेगी। बैकुंठ धाम के महंत श्रीधराचार्य ने कहा कि प्रयागराज क्षेत्र का विकास धर्म क्षेत्र के रूप में होना चाहिए ,भगवान राम प्रयागराज आकर ही वनवास शुरू किया।
महंत यमुनापुरी ने कहा युगों की धाराएं कितनी बीत चुकी है। यह कलयुग का प्रथम चरण है।अपने बड़ो की सेवा करने से आयु विद्या और बल में बढ़ोतरी होती है।आज राम वन गमन मार्ग पर भगवान श्रीराम स्मृति की यात्रा ऐतिहासिक होगी। आप सब मेरे साथ चले। यात्रा प्रमुख लालजी शुक्ल ने कहा संतों को भगवान कहा गया है।आज संतों का समाज में उन्नति के लिए हमेशा आशीर्वाद चाहिए उन्ही बताए मार्गो पर हम सब को चलना चाहिए।संत का सम्मान ही राष्ट्रवाद को मजबूत करता है। इस मौके पर स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी टीकरमाफी जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीधराचार्य महंत यमुनापुरी महाराज महानिवाड़ी अखाड़ा, फलाहारी बाबा और कौशिल्या गिरी ने विचार रखें।विद्वत गोष्ठी में श्रीराम स्मृति वन गमन यात्रा में स्थानीय समिति के सदस्यों को प्रशस्ति पत्र और पट्टा पहनाकर सम्मानित किया।स्वामी वासुदेवानंद शंकराचार्य की अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर उन्होंने आडियो के जरिए संबोधित किया।चित्रकूट में प्रधानमंत्री का कार्यक्रम होने की वजह से श्रीरामभद्राचार्य नहीं पहुँच सकें।उन्होंने श्रीराम वन गमन यात्रा की सफलता व समर्थन का आशीर्वाद प्रदान किया।कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र पाठक किया।26 अक्टूबर को राम वन गमन मार्ग पर साधु संतों की अगुवाई में प्रातः 7 बजे महर्षि भरद्वाज की प्रतिमा से यात्रा होंगी।जो घूरपुर, सुजावनदेव, मसुरियन माई, मनकामेश्वर लालापुर से होकर ऋषियन से चित्रकूट कामदगिरी मुखारबिंद तक चलेगी।