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सनातनी युग का शंखनाद कर्णपटल को भेद हृदय को तरंगित व आल्हादित कर रहे हैं

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सनातनी युग का शंखनाद कर्णपटल को भेद हृदय को तरंगित व आल्हादित कर रहे हैं

लेखक-अवधेश निषाद
सकल राष्ट्र राममय के पथ पर अग्रसर हो रामराज्य की स्थापना के साथ रामयुग का शुभारंभ के शुभ क्षण हेतु हम सभी प्रतीक्षारत हैं, त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के क्षणों में राजा-महाराजा, साधु-संत, श्रृषि-मुनि, देव-किन्नर,नारद- सनकादिक, दशों दिशाओं के गण‌, देवलोक की गणिकाओं को निमंत्रण के पश्चात् भी प्रभु के कमलनयन एक ऐसे व्यक्तित्व की बाट जोह रहे थे जिसे वे अपना और वह उन्हें अपना कह सकें, जहाँ भेद नहीं अपनत्व हो जहाँ स्वार्थ नही नि:स्वार्थ हो ,
तो ऐसे पुण्यकाल में प्रभु श्रीराम को अपने एक मात्र बाल सखा “गुह्य” की स्मृति, हृदय पटल पर अंकित हुए तब प्रभु के नयन सजल हो गये!
जगविदित है कि, भगवान श्रीराम के बालसखा श्रृंग्वेरपुर नरेश निषादराज गुह्य थे।
“निषादराज” के वंशज त्रेतायुग से वर्तमान युग तक में सेवा, समर्पण एवं सद्भाव के जाने जाते हैं!
प्रेम का भाव लिए जिस निषादराज गुह्य ने “राम वनपथ गमन मार्ग” में प्रमुख विश्रामस्थली माँ गंगा के तट पर स्थित श्रृंगवेरपुरधाम में “नथ्था केवट” के द्वारा प्रभु को गंगा पार कराया था,वही नथ्था केवट अपने जन्म जन्मांतर की अभिलाषा लिए अपने आराध्य देव श्रीहरि अवतार प्रभु श्रीराम के पांव को पखार कर पूर्ण किया।


ऐसे श्रीराम के सेवक गुह्यराज निषाद के मूल वंशज डॉ०बी.के.कश्यप कुलवधु रीता निषाद सकुटुंब 5 अगस्त 2020 को अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन कार्यक्रम के पावन अवधि में सरयू के पावन तट पर राम नाम का जाप करते हुए युग का साक्षी बनने का पुण्य प्राप्त किया!
*संभवतः “प्रभु कृपा बिन कछु नाही” अर्थात श्रीराम मंदिर न्यास ट्रस्ट की सूची में “निषादराज गुह्य के वंशज” नहीं थे, अर्थात हमारी सेवा, साधना एवं भाव में कुछ तो त्रृटियां रही होंगी जिससे प्रभु ने हमें बिसार दिया है।
*प्रभु श्रीराम की विशेष अनुकम्पा हेतु, निषादराज “गुह्य के मूल वंशज” को युग के साक्षी बनने का पुण्य प्राप्ति हेतु “श्रीराम मंदिर न्यास ट्रस्ट” के श्रेष्ठजनों की अवर्णनीय कृपा के आकांक्षी है ;*
हम सकुटुंब आप श्रेष्ठजनों का हृदय के अंतस व सजल नयनों से मूक आभार व्यक्त करने हेतु प्रतीक्षारत हैं।

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