प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने वाले संत फर्जी हैं-महंत राजेन्द्र दास
महाकुंभ में बैठक कर इन लोगों का होगा बहिष्कार
प्रधानमंत्री मोदी विश्व में लहरा रहे सनातन संस्कृति का पताका
प्रयागराज । अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं निर्मोही अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत राजेन्द्र दास ने कहा कि यह खुशी की बात है कि पांच सौ वर्षों के अनवरत संघर्ष के बाद श्रीरामलला अयोध्या में पुन विराजमान हुए हैं। अब यह सवाल उठाना ओछी मानसिकता का प्रतीक है कि प्राण प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त में नहीं हुआ। जो यह सवाल उठा रहे हैं वे फर्जी संत हैं। उनकी साधु-संतों के बीच कोई अहमियत नहीं है। ये सभी अलगाव वादी ताकतों का समर्थन करते हैं। इन्हें देश में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं हैं। महंत राजेन्द्र दास माघ मेला में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
महंत राजेन्द्र दास ने जोर देकर कहा कि श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य भारती तीर्थ जी महाराज, द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती एवं पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व ही पत्र भेजकर यह स्पष्ट कर दिया था कि वे इस महान कार्यक्रम का समर्थन करते हैं। समय आने पर श्रीरामलला का दर्शन भी करेंगे। तीनों शंकराचार्यों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस महान कार्य के लिये आशीर्वाद भी दिया। वहीं, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती स्वयं प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मौजूद भी थे। जो साधु-संत इसका विरोध कर रहे हैं वे सनातन धर्म के मानने वालों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसे फर्जी लोगों के खिलाफ काररवाई की जायेगी। जरूरत पड़ने पर आने वाले महाकुंभ में बैठक कर ऐसे लोगों को संत समाज से बहिष्कृत किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम सनातन संस्कृति के आधार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश क्या पूरे विश्व में सनातन धर्म एवं संस्कृति का पताका लहरा रहे हैं। उनके नेतृत्व में सनातन संस्कृति का मान बढ़ा है। उनका विरोध करना किसी तरह से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अखाड्ा परिषद प्रधानमंत्री के साथ है। अब सनातन धर्म के विरोधियों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।