मोहर्रम की 9वीं तारीख पर दरियाबाद से निकली दो रजिस्टर मेहंदियां
श्रद्धा और परंपरा से सजी मेंहदियों ने अकीदतमंदों का दिल जीता, 11 किलो चांदी से जड़ा झूला बना आकर्षण का केंद्र
प्रयागराज। मोहर्रम की 9वीं तारीख शनिवार को दरियाबाद मोहल्ले में गम, श्रद्धा और परंपरा देखने को मिला। इस मौके पर दरियाबाद के दो अलग-अलग इमामबाड़ों से रजिस्टर मेहंदी जुलूस निकाले गए। ये मेहंदी जुलूस समयबद्ध और सलीके से अपने-अपने मार्गों से होकर इमामबाडे तक पहुँचा । मोहम्मद महबूब दावर और दुलारे खाँ की अगुवाई में निकली ये मेहंदियां अकीदतमंदों की गहरी आस्था और हुसैनी मोहब्बत की गवाही दे रही थीं।
पहली रजिस्टर मेहंदी दरियाबाद के कुरेशनगर स्थित इमामबाड़ा से निकाली गई, जिसकी अगुवाई तजियादार मोहम्मद महबूब दावर ने की। इस मेहंदी को खास तरीके से सजाया गया था। कारीगरों ने गजब की खूबसूरती और बारीकी से सजावट की थी, जिससे यह मेहंदी देखते ही बन रही थी। नवजवानों ने अपने मजबूत कंधों पर मौला हुसैन की मेहंदी को उठाकर श्रद्धा अर्पित की और ‘या अली’, ‘या हुसैन’ के नारों से फिजा को पुरअसर बना दिया।
वहीं, दूसरी रजिस्टर मेहंदी जुलूस जोगी घाट के पंचायती इमामबाड़ा से निकाला गया, जिसमें मासूम अली असगर का झूला शामिल था। इस झूले की अगुवाई तजियादार दुलारे खाँ ने की। उन्होंने बताया कि यह झूला वर्षों पुराना और ऐतिहासिक है। खास बात यह रही कि इस बार झूले को 11 किलो चांदी से सजाया गया है। और उसकी पूरी बॉडी चांदी की पट्टियों से जड़ी हुई थी, जिससे यह झूला श्रद्धालुओं और दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा।
दोनों मेहंदियों के मार्ग अलग-अलग रहे, लेकिन दोनों अपने-अपने तय रास्तों से होकर अपने अपने इमामबाड़े तक पहुँचीं। इस मौके पर बड़ी संख्या में अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने भी इन जुलूसों में भरपूर सहभागिता की और इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करते हुए श्रद्धा और अकीदत के साथ ‘या हुसैन’ की सदाएं बुलंद कीं।
शगुन ग्रुप की तरफ से लंगर किया गया पूरा रास्ते लंगर होता रहा बालूशाही शीरमल पैकेट बंद सामान पानी शरबत आदि।
हकीम रिजवान हमीद साहब सांसद उज्जवल रमण सिंह हरिओम साहू महबूब डाबर नवाब अहमद कुरैशी मो० चांद बाबा अल्ताफ अहमद मो० अलीम मो लईक मो० नईम अकरम शगुन आदि हजारों अकीदतमंद शामिल हुए.