मेक इन इंडिया,एआई पर आधारित पैदल नेविगेशन और क्राउड इंटेलिजेंस ऐप किया जा रहा विकसित

काशी की गलियों को यातायात प्रबंधन में शामिल करेगी सरकार
*विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में वेनिस और डेट्रॉइट जैसे वैश्विक शहरों के साथ काशी को भी किया गया शामिल*
*गलियों में स्थित दुकानों के बारे में भी मिलेगी जानकारी, छोटे व्यवसायों को मिलेगा आर्थिक लाभ*
वाराणसी.
काशी को गलियों का शहर कहा जाता है, ये ऐतिहासिक गलियां भूल भुलैया से कम नहीं है। आने वाले दिनों में ये गलियां यातायात प्रबंधन का भी हिस्सा होंगी। इसके लिए योजना बनाई जा रही है और मेक इन इंडिया, एआई पर आधारित पैदल नेविगेशन और क्राउड इंटेलिजेंस एप विकसित किया जा रहा है। इस एप को विशेष रूप से वाराणसी जैसे घनी आबादी और ऐतिहासिक संरचना वाले शहरों को ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है। इसके लिए टोयोटा मोबिलिटी फाउंडेशन की सस्टनैबेल सिटीज़ चैलेंज के तहत वाराणसी को दुनिया भर के सैकड़ों शहरों में से चुना गया था। इस चुनौती में वेनिस और डेट्रॉइट जैसे वैश्विक शहरों के साथ वाराणसी को भी शामिल किया गया है। शुरूआती दौर में वाराणसी के लिए इस प्रतियोगिता में 10 कंपनियों चुनी गई थी, इसके बाद 5 कंपनिया सेलेक्ट हुई जो काशी के यातायात, क्राउड मैनेजमेंट और अन्य समाधानों पर योजना बनाने का काम कर रही है।
धर्म,अध्यात्म और ऐतिहासिक नगरी काशी की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए योगी सरकार फ्लाईओवर का जाल, सड़कों का चौड़ीकरण, रिंग रोड, रोपवे ,पार्किंग आदि का निर्माण करवा रही है। नगर आयुक्त हिमांशु नागपाल ने बताया कि काशी में स्मार्ट और सतत पर्यटन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए काशी की गलियों को पैदल यातायात और दार्शनिक स्थलों तक पहुंचने के लिए विकसित किया जा रहा है। यह एप पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को पुराने शहर की संकरी गलियों और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में सहज, सुरक्षित और बेहतर पैदल चलने का अनुभव देगा है।
काशी की गलियों एवं यातायात पर रिसर्च और ऐप डेवलप करने वाली संस्था वोजिक एआई के सीइओ अर्जित विश्वास ने बताया कि पारंपरिक एप से अलग, “बेहतर-वे”एप रियल-टाइम डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से भीड़-भाड़ वाले मार्गों से बचाते हुए वैकल्पिक गलियों, पैदल रास्तों और नजदीकी दर्शनीय स्थलों की जानकारी देगा है। अभी इस ऐप का उपयोगकर्ता परीक्षण चल रहा है। यह एप न केवल भीड़ के बेहतर प्रबंधन में सहायक होगा ,बल्कि इसे ऐसा विकसित किया गया है जिससे पर्यटकों को कम प्रसिद्ध लेकिन सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों तक पहुंचने में भी मदद मिलेगी। कंपनी के फाउंडर राहुल ठाकुर ने बताया कि एप के माध्यम से भीड़ को संतुलित वितरण करने में सहायता मिलेगी। एप में स्थानीय गलियों में स्थित आम और खास दुकानों के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जिससे स्थानीय दुकानदारों व छोटे व्यवसायों को भी आर्थिक लाभ मिलने की संभावना बढ़ेगी।
*सरकारी विभागों का सहयोग*
नगर आयुक्त ने बताया कि क्राउड मैनेजमेंट, यातायात की सुगमता के लिए स्मार्ट सिटी , नगर निगम , वाराणसी विकास प्राधिकरण, यातायात पुलिस समेत अन्य सम्बंधित विभाग इसमें सहयोग कर रहे है । इन संस्थाओं के सहयोग से एप को शहर की वास्तविक आवश्यकताओं और जमीनी परिस्थितियों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।
वर्जन
काशी की ऐतिहासिक गलियाँ शहर की पहचान हैं, लेकिन बढ़ती पर्यटकों की संख्या और यातायात दबाव के कारण इनके बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। अब इन गलियों को स्मार्ट यातायात प्रबंधन से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई है। मेक इन इंडिया के तहत विकसित एआई -आधारित पैदल नेविगेशन और क्राउड इंटेलिजेंस एप वाराणसी जैसे घनी आबादी और विरासत वाले शहरों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
