सामाजिक सौहार्द की अलख जगाते सरदार पतविंदर सिंह
# कभी चौराहे पर जूता पॉलिश और कभी गंगा किनारे पॉलिथीन बनते हुए दिख जाने वाले सरदार पतविंदर सिंह
# किशोरावस्था से ही समाज सेवा के जूनुन ने बना दिया पहरेदारl
नैनी प्रयागराज/सरदार पतविंदर सिंह गुरु नानक नगर,गुरुद्वारा रोड,नैनी प्रयागराज निवासी हैं इन्होंने जनसंख्या नियंत्रण प्रधानमंत्री के आह्वान पर शादी का परित्याग किया विभिन्न विधाओं एवं कार्यक्षेत्र समाज सेवा,सस्कृति,समाज कल्याण,युवा- महिला-दिव्यांग कल्याण में उत्कृष्ट व उल्लेखनीय योगदान कर देश-विदेश मे प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाले सभी सामाजिक कार्य में तत्पर,अपनी प्रतिभा दीघॅ साधना के आधार पर श्रेष्ठ उपलब्धियों को प्राप्त किया है
कहीं भी आना जाना हो तो यह अपनी साइकिल का ही उपयोग करते हैं जिसके लिए समाज से बहुत बातें भी सुननी पड़ती हैं मगर इन्होंने देश हित में कान-आंख सब बंद कर रखा है जिससे पर्यावरण सुरक्षित,वायु प्रदूषण मुक्त रहेl
सरदार पतविंदर सिंह गंगा-यमुना सरस्वती भूगर्भ में पावन संगम जिसे त्रिवेणी भी कहा जाता है को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए मात्र 13 वर्ष की आयु से ही जन जागरूकता का कार्य समाज के बीच में कर रहे हैंllराष्ट्रीय पर्व पर राष्ट्रीय एकता सदभावना सौहार्द की अलख जगाने के लिए हमेशा लोगों के बीच शांति अहिंसा एकता सद्भावना का संदेश देते हैंl ग्रामीण एवं मलिन बस्तियों में युवा युवतियों को जागरूक बनाते हेतु राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने हेतु युवा शक्ति को रचनात्मक कार्यों में प्रोत्साहित करते हैं कोरोना महामारी के दौरान पूरी तत्परता के साथ मानवता को बचाने के लिए माक्स, सेनिटाइजर,दो गज दूरी,बराबर हाथ धोने के लिए प्रेरित दिन-प्रतिदिन करते रहेl दहेज लोभीयों के खिलाफ जन जागरूकताl युवाओं को नशीले पदार्थ,गुटका नशीली दवाओं के सेवन से बचाने के लिए ज्योति जगाने का प्रयास किया कि पूरे भारतवर्ष में पूर्ण नशा बंदी लागू हो,पूर्ण नशा बंदी से युवा पीढ़ी की उर्जा देश के विकास में लगे गईl बाल श्रम से बचाने के लिए बच्चों के माता-पिता को जन जागरूकता कर समस्या का समाधान करना ताकि समाज के कोढ से जल्द से जल्द छुटकारा पाया जा सकेl
एड्स जैसी घातक बीमारी से बचाने के लिए अपने भरकर प्रयास से ग्रामीण,शहरीओं के बीच में राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रकों के ड्राइवरों को जागरूक कर एचआईवी के भयानक प्रभावों के संबंध में जागरुकता व शिक्षित कियाl देश में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की घट रही संख्या से बढ़ते असंतुलन को समाप्त करने के लिए”कन्या भ्रूण हत्या बंद करो”की आवाज से नव दंपतियों सहित आम महिलाओं,पुरुषों को जागृत कियाl पर्यावरण के प्रति जन चेतना जगाते हुए जगह-जगह वृक्षारोपण करना और कराना उनकी परवरिश का पूरा ध्यान रखना जिससे करोना काल में हुई ऑक्सीजन की कमी,आने वाली पीढ़ी को ना हो इसके लिए प्रति व्यक्ति को एक वृक्ष जरूर लगाना चाहिए प्रेरित बराबर कर रहे हैं
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए ग्राम सभा,नगर निगम,विधानसभा, लोकसभा,सभी चुनाव में मतदान अवश्य करें,सुयोग्य प्रत्याशी चुने की चेतना 365 दिन जन जागरूकता दिन-प्रतिदिन चलती रहती हैl स्वच्छता,स्वास्थ्य,शिक्षा के प्रति जन जागरूकता सक्रियता से समाज के बीच में सम्मिलित होकर जन जागरूकता का कार्य बराबर करते रहते हैंl जनसंख्या वृद्धि एक बहुत बड़ी समस्या है जिससे विकास कार्य बाधित होते हैं समाज के बीच में खासकर युवा पीढ़ी को बड़े ही सहज ढंग से इसे कंट्रोल करने के लिए जागरूक करते हैंl खाद्य सामग्री को खराब होने से बचाने के लिए विभिन्न आयोजनों शादी-विवाह ,जन्मदिन,सुख-दुख में होने वाले विभिन्न भोज में,यह प्रेरित करने के लिए कार्य करते हैं कि उतना ही अपनी थाली में भोजन लें जितना आप आराम से खा सकें खाने को बर्बाद ना होने दें,खाने को बर्बाद होने से बचाएंl पानी का गहराता संकट बहुत बड़ी समस्या है आने वाले तीसरे विश्व युद्ध से बचना है तो पानी को बचाना होगा घर में जल संरक्षण शुरू करें जल संरक्षण के प्रति चेतना जगाना पानी का दुरुपयोग व पानी की बर्बादी होने से रोकना के प्रति समाज में जागरूकता उत्पन्न कर रहा हूंl
सामाजिक सौहार्द का उदाहरण सरदार पतविंदर सिंह…. सामाजिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल है कवारियों,नमाजियों पर इत्र व पुष्प वर्षा कर स्वागत,वंदन,अभिनंदन करनाl उत्तर प्रदेश का नाम रोशन कर प्रयागराज से देश-विदेश के लिए भाईचारे की ज्योति जागृत कर राष्ट्रीय एकता का संदेश देने वाले
सरदार पतविंदर सिंह के कवारियों,नमाजियों पर इत्र व पुष्प वर्षा से सर्व समाज में खुशी का माहौल उत्पन्न होने से सांप्रदायिक सदभाव के प्रतीक के रूप में उभरे हैंl
सच्ची नि:स्वार्थ सेवा के लिए समर्पित देश-विदेश में प्रदेश का नाम रोशन करते सच्ची समाज सेवा की अलख जगाने वाले सरदार पतविंदर सिंह किसी पहचान की मोहताज नहीं है सरदार पतविंदर सिंह नाम से नहीं, अपने कार्य से पहचाने जाते हैं उनका कहना है कि अपने लिए जो जीता है वह विकृति है और जो दूसरों के लिए जीता है वह संस्कृति हैl