मुंबई
नौसेना की बढ़ी ताकत , प्रोजेक्ट 75 के तहत बनी 6वीं और आखिरी पनडुब्बी वागशीर का जलावतरण।
आज देश के लिए गौरव की बात है मेक इन इंडिया के तहत मझगांव डॉकयार्ड में बनी , स्कॉर्पीन श्रेणी की 6वीं और आखिरी पनडुब्बी वागशीर लॉन्च हो गई, आज के बाद यह अपनी सभी प्रणालियों के गहन परीक्षणों से गुजरेगी. इन परीक्षणों के पूरा होने के बाद साल 2023 तक इसको भारतीय नौसेना को सौंपने का लक्ष्य है रक्षा सचिव अजय कुमार का कहना है भारत हर तरह की चुनौतियों के लिए तैयार है ।
आज देश के रक्षा सचिव अजय कुमार की पत्नि वीणा अजय कुमार के हाथों वागशीर का जलावतारण कार्यक्रम संपन्न हुआ।
स्कॉर्पिन क्लास की 6वीं पनडुब्बी वागशीर एक डीजल , इलेक्ट्रिक सबमरीन है, इसको ज्यादा दिनों तक समंदर में तैनात किया जा सकता है, अपनी क्लास की दूसरी पनडुब्बियों की तरह ही यह मिसाइल और टॉरपीडो से लैस है और समंदर में माइन्स भी बिछाने में सक्षम है. इसके अलावा वाघशीर को सर्विलांस के लिए भी समंदर के अंदर निचे काफ़ी समय तक तैनात किया जा सकता है. करीब 350 मीटर गहरे समंदर में इसको तैनात किया जा सकता है
भारतीय नौसेना ने वर्ष 2005 में प्रोजेक्ट-75 के तहत छह स्कोर्पिन पनडुब्बियां बनाने का करार किया था। हालांकि वर्ष 2012 तक नौसेना को पहली सबमरीन मिल जानी चाहिए थी, लेकिन पहली स्कोर्पिन क्लास पनडुब्बी, कलवरी वर्ष 2017 में ही भारतीय नौसेना को मिल पाई थी। खंडेरी वर्ष 2019 में नौसेना की जंगी बेड़े में शामिल हुई थी। लेकिन कोविड के बावजूद 2021में आईएनएस करंज और आईएनएस वेला भारतीय नौसेना को मिल गई ।इस क्लास की 5वीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर लॉन्च हो चुकी है और उसका समुद्री ट्रायल चल रहा है रक्षा सचिव का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से समुद्र में नौसेना की धमक बढ़ी है।
मेक इन इंडिया के तहत सबमरीन के मामले में हम 90% आत्मनिर्भर बन गए है और तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे है P75 प्रोजेक्ट (6 कलवरी क्लास सबमरीन) के बाद नेवी का अगला लक्ष्य P75 इंडिया होगा जिसमें पूरी तरह मेक इन इंडिया के तहत सबमरीन निर्माण होगा।
पनडुब्बियों की कमी से जूझ रही भारतीय नौसेना के लिए वाघशीर की लॉन्चिंग से समुद्री ताकत में बड़ा इजाफा होने की उम्मीद है ,प्रोजेक्ट 75 ऐसे समय में पुरा हो रहा है, इसको साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि ये बिना किसी आवाज के दुश्मन के खेमे में पहुंचकर तबाह करने की क्षमता रखती है
वागशीर कुछ सेकेंड में अपने टारगेट को ध्वस्त करने की क्षमता रखती है. इससे सतह और पानी के अंदर से टॉरपीडों और एंटी शिप मिसाइलें दागी जा सकती हैं.इसके साथ-साथ यह पनडुब्बी एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सरफेस वॉरफेयर, माइन लेइंग जैसे कई मिशनों को अंजाम देने की क्षमता रखती है.
वाघशीर पूरी तरह से आत्म निर्भर भारत के तहत बनी है और टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च्ड एंटी-शिप मिसाइल से हमला करने में सक्षम है। इसका उपयोग हर तरह के वॉरफेयर, ऐंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस के काम में कर सकते हैं। युद्ध के दौरान यह पनडुब्बी सुरक्षित और आसानी से दुश्मनों को चकमा देकर बाहर निकल सकती है। वाघशीर स्टेल्थ और एयर इंडिपेंडेंट प्रॉपल्शन जैसी तकनीकों से लैस है।
यह खुफिया जानकारी जुटाने, माइन बिछाने और एरिया सर्विलांस आदि का काम कर सकती हैं
मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप (डीसीएनएस) के सहयोग से स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन के प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है। दोनों कंपनियों के बीच 6 सबमरीन तैयार करने लिए 2005 में करार हुआ था। इसके तहत सभी सबमरीन मुंबई में ही तैयार की जा रही हैं।
उजाला लाइव के विशेष संवाददाता
पीयूष पांडेय की स्पेशल रिपोर्ट