कलाकार अजामिल व्यास, रवीन्द्र कुशवाहा व हिमानी रावत ने बताई रंगकर्म के अनमोल तत्व
रंगकर्म के धुरंधरों से रूबरू हुए नवोदित रंगकर्मी,(इन्द्रधनुष – एक सकारात्मक अभिव्यक्ति)
-एक सकारात्मक अभिव्यक्ति” की रंग कार्यशाला में ललित कला के तीन राष्ट्रीय धुरंधरों को एक साथ पाके रंग छात्र उन्मादित और अत्यंत उत्साहित रहे। आज की रंग कार्यशाला के आरम्भिक सत्र में संयोजक शैलेश श्रीवास्तव ने देश के वरिष्ठ कलाचिंतक/कवि /चित्रकार अजामिल व्यास का नव रंग छात्रों से परिचय कराया साथ वो परिचित हुए देश के वरिष्ठ अकादमी चित्रकार/कवि रवीन्द्र कुशवाहा और प्रतिष्ठित युवा कथक नृत्यांगना हिमानी रावत और उन सबके अबतक के स्थापित कृतित्व से।
शास्त्रीय नृत्यांगना सुश्री हिमानी रावत ने नयन मुद्राओं , हस्तमुद्राओं तथा आंगिक संचालन के विभिन्न आयामों की विस्तृत व्याख्या की तथा उनके रंगकर्म में उपयोगिता को सोदाहरण समझाया और दिखाया भी।
लब्धप्रतिष्ठित चित्रकार रवीन्द्र कुशवाहा ने रंगकर्म में रंगों की विभिन्न उपयोगिता पर उद्बोधन किया। कुशवाहा ने रंगकर्म में प्रकाश डिज़ायन, सेट डिज़ायन तथा रंग परिधान में रंगों के आवश्यक उपयोग का महत्व समझाया। रानी रेवती देवी इंटर कॉलेज में आज की रंगकार्यशाला का सबसे रोमांचक व अभिनव लम्हा वो था जब कुशवाहा ने आकस्मिक रंगसंवाद के एक दृश्य के विभिन्न रस और भाव को कैनवास पर अपने रंग- ओ-ब्रश से तत्काल उकेर दिया।आज की कार्यशाला के रंग, रस और भाव को आत्मसात करते हुए अपना आशीर्वचन दिया। रंग चिंतक/सचेतक अजामिल व्यास ने अपने उद्बोधन में कहा कि बिना रंग तत्व के मूल अवयवों से परिचित हुए रंगकर्म विलासिता हो सकती है पर साधना नहीं। स्त्रियां लय हैं और पुरुष उसकी ताल और जब लय और ताल का संतुलित प्रदर्शन रंगमंच पर अभिनीत होता है तो रंगकर्म साधना बन जाता है और फिर इसी साधना प्रदर्शन का दर्शक स्तुतिगान करता है।