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भूगर्भ जल का संरक्षण आवश्यक- न्यायमूर्ति सुधीर नारायण,मुख्य विश्वविद्यालय के यमुना परिसर में वृहद वृक्षारोपण

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भूगर्भ जल का संरक्षण आवश्यक- न्यायमूर्ति सुधीर नारायण,मुख्य विश्वविद्यालय के यमुना परिसर में वृहद वृक्षारोपण

 

कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने दिलाई सड़क सुरक्षा की शपथ,उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के सरस्वती परिसर में शनिवार को
भूगर्भ जल: चुनौतियां एवं समाधान विषय पर वैचारिक सत्र का आयोजन किया गया ।
वैचारिक मंथन के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री सुधीर नारायण ने कहा कि जल का महत्व भारत में बहुत ज्यादा है। उन्होंने जल के महत्व का वर्णन करते हुए कावेरी जल विवाद में न्यायपालिका द्वारा दी गयी नज़ीर का उद्धहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि कावेरी जल के संबंध में कई राज्यों के बीच काफी दिनों तक विवाद चलते रहे। उन्होंने कहा कि आज के समय में भूगर्भ जल बहुत कीमती है। ऐसे प्राकृतिक उपहार का संरक्षण सुनिश्चित करने एवं पानी को अनावश्यक ना बहाने की हिदायत दी।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने भूगर्भ जल संरक्षण हम जन का आंदोलन बनाने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने भूगर्भ जल के अंधाधुंध दोहन एवं उसके पुनर्भरण न हो पाने की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने जल की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा यह हमारे शरीर में 60 प्रतिशत जल है। इसीलिए जल ही जीवन है। भूगर्भ जल के संचयन के लिए हमें एक अभियान छेड़ने की आवश्यकता है तभी भूगर्भ जल की क्षमता बढ़ेगी।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर एच के पांडेय, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में पानी की मांग सबसे ज्यादा है। सिंचाई में सबसे ज्यादा भूगर्भ जल का उपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि के साथ ही औद्योगिकीकरण भी तेजी से हो रहा है। पानी के बिना न खेती हो सकती और ना ही उद्योग धंधे चल सकते हैं। प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि नगरीकरण के बढ़ते प्रभाव से पंप टेक्नोलॉजी से भूजल का बहुत दोहन हुआ। 1974 में आई पंप टेक्नोलॉजी ने भूजल निकालने के लिए बहुत योगदान दिया लेकिन जल संभरण के लिए टेक्नोलॉजी बाद में आई। आज हमारे सामने भूगर्भ जल को रिचार्ज करने की कई चुनौतियां हैं। प्रधानमंत्री द्वारा देश को दी गई नल से जल की योजना बहुत बड़ी योजना है। उन्होंने कहा कि नदियों का जल और भूगर्भ जल का आपस में संवर्धन एक जैसा है। नदियां हमारी राष्ट्रीय संपदा हैं। नदियों का जल प्रदूषित हुआ तो प्रवाह कम होता चला गया। हमें प्रकृति के साथ जुड़े रहना है।
बिना उर्जा और जल के समन्वय के कोई विकास नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जल की कोई कमी नहीं है, केवल प्रबंधन की कमी है। भूजल को संरक्षित करने के लिए समग्र प्रयास की आवश्यकता है।
इसके पूर्व संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए संयोजक प्रोफेसर पी पी दुबे ने भूगर्भ जल संरक्षण विषय के महत्व पर प्रकाश डाला। संचालन डॉक्टर देवेश रंजन त्रिपाठी आभार ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक,शिक्षक, छात्र एवं कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार की अपेक्षानुसार सड़क सुरक्षा में यातायात नियमों के प्रति जनमानस में जागरूकता हेतु सरस्वती परिसर में मानविकी विद्या शाखा के तत्वावधान में सड़क सुरक्षा शपथ ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षा कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशकों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्रों को सड़क सुरक्षा के संबंध में शपथ दिलाई। समारोह का संयोजन निदेशक, मानविकी प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी ने किया।
इसके पूर्व आज प्रातः विश्वविद्यालय के यमुना परिसर में उत्तर प्रदेश सरकार की अपेक्षानुसार वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने वृक्षारोपण कर अभियान की शुरुआत की। विश्वविद्यालय के अधिकारियों,शिक्षकों, कर्मचारियों एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के सदस्यों आदि ने 500 पौधों का रोपण किया। वृक्षारोपण अभियान में तरु वीथिका संस्था का सहयोग सराहनीय रहा।समारोह का संयोजन निदेशक, कृषि प्रोफेसर पी पी दुबे ने किया।

 

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